5 दिसम्बर : विश्व मृदा दिवस

प्रतिवर्ष 5 दिसम्बर को विश्व मृदा दिवस के रूप में मनाया जाता है, इस दिवस को खाद्य व कृषि संगठन द्वारा मनाया जाता है। इस वर्ष विश्व मृदा दिवस की थीम “Keep Soil Alive, Protect Soil Biodiversity” है।

मुख्य बिंदु

संयुक्त राष्ट्र के अनुसार विश्व की कुल एक तिहाई मृदा का क्षरण हो चुका है। मृदा के गुणवत्ता को प्रभावित करने वाला एक प्रमुख कारक मृदा प्रदूषण भी है। मृदा प्रदूषण का खाद्यान्न, जल तथा वायु पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है, जो प्रत्यक्ष रूप से स्वास्थ्य को प्रभावित करता है। मृदा प्रदूषण का प्रमुख कारण औद्योगिक प्रदूषण तथा ख़राब मृदा प्रबंधन है।

इतिहास

अंतर्राष्ट्रीय मृदा विज्ञान संघ ने 5 दिसंबर को विश्व मृदा दिवस मनाने की सिफारिश की थी। थाईलैंड के नेतृत्व में, एफएओ ने विश्व मृदा दिवस की औपचारिक स्थापना का समर्थन किया था। यह दिवस मनाने का निर्णय Global Soil Partnership के तहत किया गया था। पहला विश्व मृदा दिवस 2014 में मनाया गया था।

5 दिसंबर को ही क्यों चुना गया?

यह दिन थाईलैंड के दिवंगत राजा भूमिबोल अदुल्यादेज के जन्मदिन से मेल खाता है। वह पहल के मुख्य प्रस्तावक थे।

भारत में मृदा संरक्षण

भारत क्षेत्रीय मृदा संरक्षण कार्यक्रमों पर फोकस कर रहा है। उदाहरण के लिए, सोहरा पठार में मिट्टी की नमी बढ़ाने के लिए Cherrapunjee Ecological Project शुरू किया गया है।

हालांकि, राष्ट्रीय कृषि विज्ञान योजना, जो देश में कृषि प्रणाली पूरे भारत में मिट्टी की गुणवत्ता पर केंद्रित है। साथ ही, देश में मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना शुरू की गई है।

खाद्य व कृषि संगठन (FAO)

यह एक संयुक्त राष्ट्र की संस्था है, यह संयुक्त राष्ट्र आर्थिक व सामजिक परिषद् के अधीन कार्य करती है। इसकी स्थापना 16 अक्टूबर, 1945 को की गयी थी। इसका मुख्यालय इटली के रोम में स्थित है। वर्तमान में इसके कुल 194 सदस्य हैं।

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