IMMUVAC और VPM1002 नामक टीके किस रोग के लिए उपयोग किये जायेंगे?

उत्तर – टीबी

भारतीय मेडिकल अनुसन्धान परिषद् (ICMR)  ने हाल ही में ट्यूबरक्लोसिस के दो नए टीकों IMMUVAC और  VPM1002 का परीक्षण शुरू कर दिया है। इन दो टीकों के द्वारा ट्यूबरक्लोसिस संक्रमण के प्रारंभिक फैलाव  तथा अवयक्त संक्रमण के री-एक्टिवेट होने पर रोक लगाई जा सकती है। भारत में टीबी के विरुद्ध लड़ाई में यह तीकें महत्वपूर्ण हैं। इन दोनों टीकों का निर्माण भारतीय दवा निर्माता कंपनियों द्वारा किया गया है।

IMMUVAC : इसे मायकोबैक्टीरियम इंडिकस प्रानी (MIP) भी कहा जाता है, इसका निर्माण अहमदाबाद बेस्ड कैडिला फार्मास्युटिकल्स द्वारा किया गया है।

VPM1002 : इसका निर्माण पुणे बेस्ड सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ़ इंडिया द्वारा किया गया है।

वर्तमान में विश्व भर में बड़े पैमाने पर Bacille Calmette-Guerin (BCG)  नामक टीके का उपयोग किया जाता है, परन्तु यह टीका एक शताब्दी से भी अधिक पुराना है।

ट्रायल : इस ट्रायल में देश के 6 राज्यों के 12,000 से अधिक लोग शामिल होंगे, जो ट्यूबरक्लोसिस से प्रभावित हैं। इस ट्रायल में दिल्ली, महाराष्ट्र, ओडिशा, तेलंगाना, कर्नाटक के लोगों को शामिल किया गया है। इस परीक्षण के आधार पर ICMR केन्द्रीय स्वास्थ्य व परिवार कल्याण मंत्रालय को अनुशंसा प्रदान करेगा।

क्षय रोग (टीबी)

क्षय रोग के फैलने का सबसे बड़ा कारण है इस बीमारी के प्रति लोगों में जानकारी का अभाव। टीबी (क्षय रोग) यानि ट्यूबरक्लोसिस एक संक्रामक रोग है, जो माइकोबैक्टिरीयम ट्यूबरक्यूलोसिस नाम के बैक्टीरिया की वजह से होता है। ये बीमारी हवा के जरिए एक इंसान से दूसरे में फैलती है। सबसे आम फेफड़ों की टीबी है लेकिन ये गर्भाशय, मुंह, लिवर, किडनी, गला,ब्रेन, हड्डी जैसे शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकती है। टीबी बैक्टीरिया शरीर के जिस भी हिस्से में होता है उसके टिश्यू को पूरी तरह से नष्ट कर देता है और उससे उस अंग का काम प्रभावित होता है।

टीबी के लक्ष्ण हैं :

खांसते समय बलगम में खून का आना,भूख में कमी, थकान और कमजोरी का एहसास, सीने में दर्द, बार बार खांसना, बुखार, गले में सूजन और पेट में गड़बड़ी का होना।

Advertisement

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *