भारत ने पेरिस समझौते के कार्यान्वयन के लिए सर्वोच्च समिति का गठन किया : मुख्य तथ्य

भारत सरकार ने हाल ही में पेरिस समझौते के कार्यान्वयन के लिए शीर्ष समिति (AIPA) का गठन किया। इसका उद्देश्य  जलवायु परिवर्तन के मामलों में समन्वित प्रतिक्रिया सुनिश्चित करना है और देश को पेरिस समझौते के तहत निर्धारित जलवायु परिवर्तन दायित्वों को पूरा करने के लिए मार्ग पर अग्रसर करना है। इसमें राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (NDC) भी शामिल है। यह देश के भीतर कार्बन बाजारों को विनियमित करने के लिए राष्ट्रीय प्राधिकरण के रूप में कार्य करेगा।

पेरिस समझौते के कार्यान्वयन के लिए सर्वोच्च समिति

  • इस समिति का गठन केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय, वन और जलवायु परिवर्तन सचिव की अध्यक्षता में किया गया है।
  • यह समिति सुनिश्चित करेगी कि पेरिस समझौते के तहत जलवायु परिवर्तन दायित्वों को प्राप्त करने के लिए भारत मार्ग पर अग्रसर रहे।
  • इस समिति में कुल 17 सदस्य हैं, जो राष्ट्रीय रूप से निर्धारित योगदान (एनडीसी) को लागू करने के लिए नीतियां बनायेंगे।
  • यह समिति नियमित रूप से जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन (यूएनएफसीसीआई) में अपने एनडीसी को प्राप्त करने में भारत की स्थिति की प्रगति की जानकारी प्रदान करेगी ।
  • यह समिति भारत के जलवायु परिवर्तन शमन और अनुकूलन लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए विभिन्न सरकारी मंत्रालयों की जिम्मेदारी को परिभाषित करेगी।

भारत का राष्ट्रीय रूप से निर्धारित योगदान (Nationally Determined Contributions of India)

भारत ने 2015 में अपना राष्ट्रीय निर्धारित योगदान प्रस्तुत किया था। भारत के तीन मुख्य लक्ष्य इस प्रकार हैं :

  • 2005 के स्तर की तुलना में 2030 तक जीडीपी उत्सर्जन की तीव्रता में 33% से 35% कमी की जायेगी।
  • 2030 तक अतिरिक्त वन और पेड़ के आवरण के माध्यम से 2.5 से 3 बिलियन टन कार्बन डाइऑक्साइड के अतिरिक्त कार्बन सिंक का निर्माण किया जायेगा।
  • 2030 तक गैर-जीवाश्म ईंधन आधारित बिजली की हिस्सेदारी को 40% तक बढ़ाया जायेगा।

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