भारत के स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर आईएनएस विक्रांत के बारे में रोचक तथ्य

वर्तमान में भारत के स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर आईएनएस विक्रांत का निर्माण किया जा रहा है। उम्मीद की जा रही है कि यह एयरक्राफ्ट कैरियर 2020 के अंत में या 2022 की शुरुआत में भारतीय नौसेना में शामिल हो जायेगा। यह भारत के आत्मनिर्भर भारत मिशन के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है क्योंकि इस एयरक्राफ्ट कैरियर में उपयोगी की गयी 75% सामग्री स्वदेशी है।

इसका निर्माण कार्य अंतिम चरण है, यह कार्य कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड में किया जा रहा है है। इसका बेसिन ट्रायल पहले ही  सफलतापूर्वक किया जा चुका है। 2021 की शुरुआत में इसका सी ट्रायल किया जायेगा।

आईएनएस विक्रांत

इसे  Indigenous Aircraft Carrier One भी कहा जाता है। यह भारतीय नौसेना के लिए बनाया जा रहा है, इसका निर्माण कोचीन शिपयार्ड, केरल में किया जा रहा है।

आईएनएस विक्रांत का आदर्श वाक्य

आईएनएस विक्रांत का आदर्श वाक्य “जयमा सम युधिः स्पर्धाः” है। यह वाक्य ऋग्वेद से लिया गया है। इसका अर्थ है “मैं उनको हराता हूं जो मेरे खिलाफ लड़ते हैं”।

लागत

आईएनएस विक्रांत की लागत 2014 में 3.5 बिलियन अमरीकी डॉलर तक पहुंच गई थी। 2019 में परियोजना के चरण 3 के लिए अतिरिक्त 420 मिलियन अमरीकी डालर मंज़ूरी किए गए थे।

आईएनएस विक्रांत

यह एयरक्राफ्ट कैरियर Short Take Off But Arrested Recovery Mechanism (STOBAR) पर काम करता है। यह मैकेनिज्म वर्तमान कैरियर INS विक्रमादित्य के मैकेनिज्म  की तरह है। आईएनएस विक्रांत में 4 जनरल इलेक्ट्रिक गैस टर्बाइन लगाये गये हैं।

आईएनएस विशाल

इसे  Indigenous Aircraft Carrier Two भी कहा जाता है। यह एक प्रस्तावित एयरक्राफ्ट कैरियर है जिसे कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड में बनाया जायेगा। इसे CATOBAR (Catapult based Aircraft Launch Mechanism) पर बनाया जायेगा। यह अमेरिकी इलेक्ट्रो मैग्नेटिक एयरक्राफ्ट लॉन्च सिस्टम (EMALS) के समान है।

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