बिहार प्रवासी पक्षी उत्सव : मुख्य बिंदु

बिहार इस साल अपने पहले प्रवासी पक्षी उत्सव की योजना बना रहा है। यह भागलपुर जिले में आयोजित किया जाएगा, इसका आयोजन तीन दिन तक किया जायेगा। इसका आयोजन भागलपुर वन मंडल, बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी और स्थानीय मंदार नेचर क्लब द्वारा संयुक्त रूप से किया जायेगा। इस क्षेत्र में हर साल नवंबर और मार्च के बीच बड़ी संख्या में प्रवासी पक्षी आते हैं। इस उत्सव का उद्देश्य इस क्षेत्र में अवैध शिकार के मामलों की जांच करना है।

पृष्ठभूमि

कहलगांव और सुल्तानगंज के बीच साठ किलोमीटर लंबा विक्रमशिला डॉल्फिन अभयारण्य लंबे समय से प्रवासी पक्षियों का एक केंद्र रहा है। प्रवासी पक्षी मुख्य रूप से मार्च और नवंबर के बीच इस क्षेत्र में आते हैं क्योंकि यह क्षेत्र को सर्दियों को बिताने के लिए अनुकूल है। इस फेस्टिवल को आयोजित करने का मुख्य उद्देश्य प्रवासी पक्षियों के महत्व के बारे में लोगों में जागरूकता पैदा करना है।

इस क्षेत्र में आने वाले प्रवासी पक्षियों में स्टेपी ईगल, यूरेशियन कर्लेव, फेरंगिनस डक, यूरेशियन कूट, कॉमन ग्रीनशेंक, ग्रेट क्रेस्टेड ग्रीब इत्यादि शामिल हैं।

भारत में प्रवासी फ्लाईवे (Migratory Flyways in India)

भारत में तीन प्रवासी फ्लाईवे हैं। वे पक्षियों द्वारा उपयोग किए जाने वाले उड़ान मार्ग हैं। यह  फ्लाईवेज़ हैं :  एशियाई पूर्व एशियाई फ्लाईवे, मध्य एशियाई फ्लाईवे और पूर्वी एशियाई ऑस्ट्रेलियन फ्लाईवे हैं। COP13 के बाद भारत में प्रवासी प्रजातियों का अनुमान 44 से बढ़कर 46 हो गया है। COP 13 जंगली जानवरों की प्रवासी प्रजातियों के संरक्षण पर कन्वेंशन है। यह फरवरी 2020 में भारत में आयोजित किया गया था।

पूर्वी एशियाई आस्ट्रेलियन फ्लाईवे उत्तरी अमेरिका और आर्कटिक रूस से न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया की दक्षिणी सीमा तक फैला हुआ है। मध्य एशियाई फ्लाईवेज़ में 30 देश शामिल हैं।

एशियाई पूर्व एशियाई फ्लाईवे आर्कटिक रूस से दक्षिण अफ्रीका और मेडागास्कर से अफ्रीका तक फैला हुआ है। इसमें हिमालय और तिब्बत पठार भी शामिल हैं।

Categories:

Tags: , , , ,

Advertisement

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *