लाटरी पर जीएसटी को बरकरार रखा जायेगा : सर्वोच्च न्यायालय
हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय ने यह स्पष्ट कर दिया है कि सट्टेबाजी, जुआ और लाटरी पर जीएसटी को बरकरार रखा जायेगा। यह निर्णय तीन न्यायधीशों – जस्टिस आर. सुभाष रेड्डी, अशोक भूषण और एम.आर. शाह की बेंच ने सुनाया।
मुख्य बिंदु
गौरतलब है कि पुरानी कर व्यवस्था में, लॉटरी पर कोई वैट (Value Added Tax)) नहीं लगाया जाता था, लेकिन पुरस्कार राशि के भुगतान के आधार पर लॉटरी टिकटों के अंकित मूल्य पर 1.28% या.8.8% की दर से सेवा कर लगाया जाता था। जीएसटी आने के बाद, पुरस्कार राशि को ध्यान में रखे बिना टिकटों के अंकित मूल्य पर जीएसटी लगाया जाता है। केंद्र सरकार ने एक ही राज्य के भीतर लॉटरी की बिक्री पर 12% का GST दर तय की है और अगर राज्य के बाहर यानी देश के अन्य राज्यों में बिक्री की जाती है तो उस पर 28% GST लगाया जाएगा।
जीएसटी क्या है?
- जीएसटी यानी गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स एक अप्रत्यक्ष कर है जो 1 जुलाई, 2017 को लागू हुआ था। इसने कई मौजूदा अप्रत्यक्ष करों जैसे वैल्यू एडेड टैक्स (वैट), सर्विसेज टैक्स, एक्साइज आदि की जगह ली।
- वस्तुओं और सेवाओं की आपूर्ति पर जीएसटी लगाया जाता है।
- जीएसटी शासन के तीन घटक हैं- इंट्रा-स्टेट सेल्स, स्टेट जीएसटी और सेंट्रल जीएसटी।
- इसके अलग-अलग टैक्स स्लैब भी हैं- 0%, 5%, 12%, 18% और 28%।वस्तुओं और सेवाओं को विभिन्न श्रेणियों में विभाजित किया जाता है और फिर विभिन्न स्लैब के अनुसार उन पर कर लगाया जाता है।
- जीएसटी अधिनियम मार्च 2017 में पारित किया गया था।
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