बीएसएनएल का नैरो बैंड IoT नेटवर्क क्या है?

10 दिसंबर 2020 को, स्काईलो के साथ साझेदारी में BSNL ने भारत में दुनिया के पहले सैटेलाइट बेस्ड नैरो बैंड इंटरनेट ऑफ थिंग्स नेटवर्क की घोषणा की। यह भारत में किसानों, मछुआरों, खनन, निर्माण और लॉजिस्टिक एंटरप्राइजेज की मदद करने वाले डिजिटल इंडिया मिशन के लक्ष्यों को प्राप्त करने में भी मदद करेगा।

यह मेड इन इंडिया समाधान भारतीय समुद्री क्षेत्र सहित बीएसएनएल सैटेलाइट ग्राउंड इंफ्रास्ट्रक्चर को जोड़ेगा। यह नवीन और सस्ती दूरसंचार सेवाएं प्रदान करने के लिए प्रौद्योगिकी का लाभ उठाने के लिए बीएसएनएल के दृष्टिकोण के तहत पेश किया गया है। इनके अलावा, NB-IoT 5G नेटवर्क का भी समर्थन करता है।

नैरो बैंड इंटरनेट ऑफ थिंग्स (NB-IoT) क्या है?

यह एक लो पॉवर वाइड एरिया (एलपीडब्ल्यूए) तकनीक है जिसे नई इन्टरनेट ऑफ़ थिंग्स की व्यापक रेंज को सक्षम करने के लिए विकसित किया गया है। यह मुख्य रूप से उपकरणों की बिजली खपत, स्पेक्ट्रम दक्षता और सिस्टम क्षमता में सुधार करता है।

यह तकनीक दो वाहनों और अन्य IoT उपकरणों को जोड़ने के लिए अत्यधिक सस्ती है। यह जीपीआरएस या जीएसएम टेक्नोलॉजीज की तुलना में बहुत सरल है। उल्लेखनीय है कि नोकिया ने हाल ही में भारत में 5G NR उपकरण का उत्पादन शुरू किया था।

जीपीआरएस और जीएसएम

जीपीआरएस का अर्थ जनरल पैकेट रेडियो सर्विस है। जीएसएम  का अर्थ ग्लोबल सिस्टम फॉर मोबाइल कम्युनिकेशन है।

जीएसएम को 2G डिजिटल सेलुलर नेटवर्क के प्रोटोकॉल के लिए विकसित किया गया था। इसे पहली बार फिनलैंड में 1991 में लागू किया गया था। 2010 के दशक में, इसकी बाज़ार हिस्सेदारी 90% से अधिक थी।

जीपीआरएस 2G और 3G सेलुलर नेटवर्क के लिए लॉन्च किया गया मोबाइल डेटा स्टैण्डर्ड है। जीएसएम और जीपीआरएस दोनों को यूरोपीय दूरसंचार मानक संस्थान द्वारा स्थापित किया गया था।

NB-IoT 2G, 3G और 4G मोबाइल नेटवर्क के साथ कार्य कर सकता है।

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