कोयला आयात निगरानी प्रणाली (Coal Import Monitoring System) क्या है?
भारत सरकार कोयला आयात निगरानी प्रणाली (CIMS) लागू करने जा रही है। इस प्रणाली के तहत देश में कोयले के आयात को संभालने के लिए आयातकों को अग्रिम सूचना ऑनलाइन प्रस्तुत करनी होगी और आटोमेटिक रजिस्ट्रेशन नंबर प्राप्त करन होगा।
कोयला आयात निगरानी प्रणाली
- इस सिस्टम के तहत बिटुमिनस कोयला, एन्थ्रेसाइट कोयला, कोकिंग कोल और स्टीम कोयला के आयातकों की मॉनिटरिंग की जाएगी।
- इस सिस्टम के तहत, आयातकों को ऑनलाइन वस्तु के बारे में अग्रिम जानकारी देनी होगी।
- यह सिस्टम भारत में डंप किए जा रहे स्टील उत्पादों की भी निगरानी करेगा। CIMS सस्ते, कम गुणवत्ता वाले इस्पात उत्पादों पर लगाए जाने वाले डंपिंग शुल्क के अनुपालन की निगरानी करेगा।
- आयातक को प्रवेश के बिल में पंजीकरण संख्या और पंजीकरण की समाप्ति तिथि दर्ज करनी होगी।
- यह व्यवस्था 1 फरवरी, 2021 से लागू होगी।
प्रणाली का महत्व
देश में हाल ही में नीलाम हुए वाणिज्यिक कोयला खनन को व्यवहार्य बनाने के लिए यह निगरानी प्रणाली शुरू की गई है। इसके अलावा, यह सिस्टम विशिष्ट ग्रेड के विवरण के साथ कोयले के आयातित संस्करणों का रिकॉर्ड भी रखेगा। यह प्रणाली बड़े पैमाने पर मदद करेगी क्योंकि वर्तमान कोयला आयात डाटा को दो से तीन महीने के अंतराल के साथ संकलित किया जाता है।
प्रणाली के तहत एकत्र की जा रही जानकारी भारत सरकार को कोयला आयात को हतोत्साहित करने के लिए अपनी नीतियों को ठीक करने में मदद करेगी।
स्टील पर डंपिंग शुल्क
भारत सरकार स्टील पर पांच साल के लिए डंपिंग शुल्क लगाएगी। यह केवल कोरिया, मलेशिया, ताइवान और जापान जैसे कुछ देशों के इस्पात उत्पादों पर लगाया जायेगा। यह घरेलू उद्योगों को सस्ती गुणवत्ता वाले स्टील के आयात से बचाने के लिए किया जा रहा है।
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