कैबिनेट ने भारत-भूटान के बीच बाह्य अन्तरिक्ष पर समझौता ज्ञापन को मंज़ूरी दी

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने हाल ही में भारत और भूटान के बीच बाहरी अंतरिक्ष के शांतिपूर्ण उपयोग के लिए समझौता ज्ञापन (Memorandum of Understanding-MoU) को मंजूरी दी। 19 नवंबर, 2020 को दोनों देशों के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए थे।

मुख्य बिंदु

इस समझौते के तहत दोनों देशों अंतरिक्ष विज्ञान, नेविगेशन, ग्रहों की खोज, अंतरिक्ष प्रणाली के उपयोग, स्पेसक्राफ्ट और ग्राउंड सिस्टम जैसे क्षेत्रों में सहयोग कर सकते हैं। यह समझौता संयुक्त कार्य दल बनाने में मदद करेगा। इस समूह में इसरो के सदस्य और भूटान के सूचना व संचार मंत्रालय के सदस्य शामिल होंगे। यह समझौता उपग्रह संचार, अंतरिक्ष विज्ञान, उपग्रह नेविगेशन और बाहरी अंतरिक्ष की खोज में सहयोग के लिए अवसर प्रदान करेगा।

गौरतलब है कि भारत और भूटान दोनों बाहरी अंतरिक्ष संधि के हस्ताक्षरकर्ता हैं।

बाहरी अंतरिक्ष संधि क्या है? (Outer Space Treaty)

बाहरी अंतरिक्ष संधि के आधार पर देशों के बीच बाहरी अन्तरिक्ष का उपयोग तय किया जाता है। जून 2020 तक, 110 देश बाहरी अंतरिक्ष संधि के पक्षकार हैं।

बाहरी अंतरिक्ष संधि की मुख्य विशेषताएं

  • बाहरी अंतरिक्ष संधि ने अंतरिक्ष में परमाणु हथियार रखने पर प्रतिबंध लगाया है।इसके अलावा, यह केवल शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए चंद्रमा और अन्य खगोलीय पिंडों के उपयोग को सीमित करता है। इस संधि के अनुसार बाहरी अंतरिक्ष अन्वेषण के लिए स्वतंत्र है लेकिन कोई भी राष्ट्र बाहरी अंतरिक्ष की संप्रभुता का दावा नहीं कर सकता।
  • हालांकि, बाहरी अंतरिक्ष संधि अंतरिक्ष में सैन्य गतिविधियों पर प्रतिबंध नहीं लगाती है।

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