भारत-फ्रांस वार्षिक सामरिक वार्ता : मुख्य बिंदु
भारत और फ्रांस ने नई दिल्ली में अपनी वार्षिक रणनीतिक वार्ता आयोजित की। इस दौरान दोनों देशों ने मुख्य रूप से COVID-19 टीकों, परमाणु, इंडो-पैसिफिक, अंतरिक्ष, पर्यावरण, समुद्री सुरक्षा, डिजिटल अर्थव्यवस्था और रक्षा क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित किया।
इंडो-पैसिफिक के संदर्भ में भारत के लिए फ्रांस क्यों महत्वपूर्ण है?
हिंद महासागर क्षेत्र में फ्रांस की गहरी उपस्थिति है। मैयट द्वीप और रीयूनियन द्वीप के क्षेत्र फ्रांसीसी नियंत्रण में हैं। ये विदेशी क्षेत्र फ्रांस को हिंद महासागर क्षेत्र में UNCLOS संधि के तहत विशेष आर्थिक क्षेत्र के रूप में 28 लाख वर्ग किलो मीटर का क्षेत्र प्रदान करते हैं।
चीन ने पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका, जिबूती और मालदीव में अपनी उपस्थिति के साथ हिंद महासागर में अपनी उपस्थिति बढ़ाई है। दूसरी ओर, फ्रांस ने अबू धाबी और जिबूती में स्थायी नौसेना बेस की स्थापना की है।
हाल ही में भारत और फ्रांस ने किस सैन्य समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं?
भारत और फ्रांस ने हाल ही में एक लॉजिस्टिक्स शेयरिंग समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। यह दोनों देशों को दूसरे की सैन्य सुविधाओं का उपयोग करने में सक्षम बनाता है। हिंद महासागर क्षेत्र में बढ़ते चीनी प्रभाव के संदर्भ में यह अत्यधिक महत्वपूर्ण है।
भारत-फ्रांस व्यापार
फ्रांसीसी कंपनियां भारत के शीर्ष निवेशकों में से हैं। भारत-फ्रांस व्यापार 13 बिलियन अमरीकी डालर का है। भारत फ्रांस से आयात हेलीकॉप्टर, उपग्रह, हवाई जहाज, अंतरिक्ष यान प्रक्षेपण वाहन हैं।
भारत-फ्रांस संबंध
दोनों देशों में एक दूसरे के साथ विशेष संबंध हैं। भारत और फ्रांस ने 2008 में ऐतिहासिक परमाणु समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। इस समझौते के अनुसार, फ्रांस ने 1,650 मेगावाट (प्रत्येक) के छह यूरोपीय दबाव वाले रिएक्टरों का निर्माण किया। भारत-विशिष्ट एनएसजी छूट के बाद भारत के साथ परमाणु समझौते पर हस्ताक्षर करने वाला पहला देश फ्रांस था।
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