कर्नाटक का मवेशी वध की रोकथाम और संरक्षण विधेयक लागू हुआ
कर्नाटक का मवेशी वध की रोकथाम और मवेशी संरक्षण विधेयक, 2020 लागू हो गया है। इस कानून का लक्ष्य गायों की सुरक्षा सुनिश्चित करना और अवैध मवेशी वध पर रोक लगाना है।
मुख्य बिंदु
अब मवेशियों का वध, तस्करी, अवैध परिवहन और गायों पर अत्याचार एक संज्ञेय अपराध होगा और इसके लिए तीन से सात साल की कैद हो सकती है है। और इसके लिए 50,000 रुपये से 5 लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।
यदि कोई व्यक्ति पुनः इस विधेयक के तहत दोषी पाया जाता है तो उस पर एक लाख रुपये से लेकर 10 लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है। और उसे सात साल कैद की सज़ा हो सकती है।
भारत में मवेशी वध कानून
2005 में, भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने भारत के विभिन्न राज्यों में गौहत्या विरोधी कानूनों की संवैधानिक वैधता को बरकरार रखा। भारत में लगभग 20 राज्यों में वर्तमान में गोहत्या को विनियमित करने के लिए कानून हैं (इसमें पशु वध भी शामिल है)।
भारत के किन राज्यों में गोहत्या पर कोई प्रतिबंध नहीं है?
असम, केरल, गोवा, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, त्रिपुरा, नागालैंड और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में गोहत्या पर कोई प्रतिबंध नहीं है।
हालांकि, कुछ राज्य बैल वध की अनुमति देते हैं। वे तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, गोवा, ओडिशा, मध्य प्रदेश, झारखंड, बिहार हैं।
धर्म और गौ हत्या
भारत में, गायों को हिंदू धर्म, जैन धर्म, सिख धर्म और बौद्ध धर्म के अनुयायियों द्वारा पूजा जाता है। उनके अनुसार गोहत्या पाप है। दूसरी ओर, गाय को भारत में ईसाई धर्म, पारसी धर्म और इस्लाम द्वारा मांस का स्वीकार्य स्रोत माना जाता है। हालांकि, कुछ जोरास्ट्रियन गायों और मांस के स्रोत के रूप में इसका इस्तेमाल करने से परहेज करते हैं।
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