राजस्थान ने नई ‘M-Sand Policy-2020’ जारी की
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राजस्थान की नई ‘M-Sand Policy-2020’ जारी की है, जिसमें निर्माण कार्य के लिए आवश्यक रेत की मात्रा को पूरा करने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता है।
एम-सैंड पॉलिसी
- नदियों से पारंपरिक रेत पर निर्भरता कम करने के उद्देश्य से ‘M-Sand Policy’ शुरू की गई है।
- इस नीति के माध्यम से, राज्य में निर्मित रेत (manufactured sand) या M-sand के उपयोग और उत्पादन को प्रोत्साहित किया जाएगा।
- इस नीति से राजस्थान के खनन क्षेत्रों में खदानों से उत्पन्न कचरे की समस्या का भी समाधान हो जाएगा।
- इससे स्थानीय स्तर पर रोजगार के बड़े अवसर पैदा होंगे।
- इस नीति ने M-sand इकाइयों को उद्योग का दर्जा दिया गया है।
नीति की आवश्यकता
राजस्थान में रेत की उपलब्धता निर्माण कार्यों की आवश्यकता के अनुसार नहीं है। विभिन्न निर्माण कार्यों के लिए लगभग 70 मिलियन टन नदी की रेत की मांग है। लेकिन, राज्य में केवल 20 एम-सैंड इकाइयां ही चल रही हैं। ये 20 इकाइयां हर दिन 20,000 टन एम-सैंड का उत्पादन करती हैं। अब, यह नई एम-सैंड नीति इसे बजरी के दीर्घकालिक विकल्प के रूप में बढ़ावा देगी और नई खनन इकाइयों की स्थापना में मदद करेगी।
एम-सैंड क्या है?
यह नीति खनिजों को कुचलकर उत्पादित रेत के रूप में एम-सैंड को परिभाषित करती है। एम-सैंड आईएसओ कोड 383: 2016 के मानकों को पूरा करता है। यह रेत उन खनिजों से प्राप्त होती है जो स्थानीय रूप से ग्रेनाइट, सिलिका, बेसाल्ट, बलुआ पत्थर और चतुर्थक के रूप में उपलब्ध हैं। इस रेत का उत्पादन खनिजों को 150 माइक्रोन के आकार के पत्थरों में कुचल कर किया जाता है।
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