मध्य प्रदेश ने दंड कानून (मध्य प्रदेश संशोधन) विधेयक, 2021 को मंजूरी दी

मध्य प्रदेश मंत्रिमंडल ने 26 फरवरी, 2021 को “दंड कानून (मध्य प्रदेश संशोधन) विधेयक, 2021” को मंजूरी दे दी है। राज्य में खाद्य पदार्थों में मिलावट करने वालों को आजीवन कारावास देने के लिए इस विधेयक को मंजूरी दी गई है।

पृष्ठभूमि

दिसंबर 2019 के महीने में, मिलावट के खिलाफ लड़ने के लिए भोपाल में जागरूकता रैली का आयोजन किया गया था। इस रैली में सभी आयु वर्ग के लोगों की भागीदारी देखी गई।

खाद्य मिलावट (Food Adulteration)

यह एक कानूनी शब्द है जिसका उपयोग तब किया जाता है जब कोई खाद्य उत्पाद अधिकारियों द्वारा निर्धारित किसी भी कानूनी मानकों को पूरा करने में विफल रहता है। खाद्य पदार्थ में किसी अन्य पदार्थ से खाद्य मिलावट की जा सकती है ताकि कच्चे रूप या तैयार रूप में खाद्य पदार्थ की मात्रा बढ़ाई जा सके। इससे खाद्य उत्पादों की वास्तविक गुणवत्ता का नुकसान होता है।

खाद्य मानकों को कौन नियंत्रित करता है?

स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा भोजन के कानूनी मानक को विनियमित किया जाता है। स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय नागरिकों को सुरक्षित भोजन प्रदान करने के लिए जिम्मेदार है। मंत्रालय ने “खाद्य अपमिश्रण निवारण अधिनियम, 1954” पेश किया था जो नागरिकों को शुद्ध और पौष्टिक भोजन प्रदान करता है। इस अधिनियम में वर्ष 1986 में संशोधन किया गया था। इस संशोधन के साथ मिलावट करने वालों के लिए सजा को और अधिक कठोर बनाया गया था।

खाद्य सुरक्षा और मानक (FSS) अधिनियम, 2006

यह अधिनियम 2006 में FSSAI द्वारा पारित किया गया था जिसके लिए 2011 में नियमों को अधिसूचित किया गया था। इस अधिनियम के तहत, FSSAI ने खाद्य मिलावट पर नकेल कसने के लिए नए खंड को शामिल करने का प्रस्ताव दिया था।  अगर मिलावट की जाती है, जिसके परिणामस्वरूप व्यक्ति को मृत्यु या किसी अन्य गंभीर चोट का सामना करना पड़ता है, तो मिलावट करने वालों के लिए कम से कम सात साल की सजा होगी, जिसे आजीवन कारावास तक भी बढ़ाया जा सकता है।

Categories:

Tags: , , ,

Advertisement

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *