आईआईटी कानपुर ने नेत्रहीनों के लिए टच सेंसिटिव घड़ी विकसित की
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) कानपुर के एक प्रोफेसर और एक शोध सहयोगी ने दृष्टिबाधित लोगों के उपयोग के लिए एक सेंसिटिव घड़ी विकसित की है। इस घड़ी में विभिन्न आकृतियों के स्पर्श करने योग्य घंटे के संकेतक हैं। ये संकेतक नेत्रहीनों को समय आसानी से पहचानने में मदद करते हैं।
टच सेंसिटिव वॉच (Touch Sensitive Watch)
यूजर को समय जानने के लिए घड़ी के घंटे संकेतक को छूना और स्कैन करना है। घड़ी फिर अलग कंपन पैटर्न की मदद से यूजर से कम्यूनिकेट करती है। घड़ी यूजर को गोपनीयता प्रदान करती है क्योंकि इसमें ऑडियो फीडबैक की आवश्यकता नहीं होती है।
वर्तमान में, नेत्रहीनों के लिए यांत्रिक घड़ियाँ उपलब्ध हैं। यहां उपयोगकर्ता को समय जानने के लिए घंटे और मिनट की सुइयों को महसूस करना पड़ता है।
दृष्टिहीनता नियंत्रण के लिए राष्ट्रीय कार्यक्रम (National Programme for Control of Blindness)
- यह कार्यक्रम 1976 में शुरू किया गया था।
- इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य देश में दृष्टिहीनता की व्यापकता को 4% से घटाकर 0.3% करना था।
- 2016 में, नेशनल प्रोग्राम फॉर कंट्रोल ऑफ ब्लाइंडनेस के तहत, 6.5 मिलियन लोगों पर मोतियाबिंद सर्जरी की गई थी।
भारत में दृष्टिहीनता के मुख्य कारण
भारत में अंधेपन के मुख्य कारण अपवर्तक त्रुटि, मोतियाबिंद, कॉर्नियल ब्लाइंडनेस, ग्लूकोमा, पोस्टीरियर कैप्सुलर ओपेसिफिकेशन, सर्जिकल कॉम्प्लीकेशन, पोस्टीरियर कैप्सुलर ओपेसिफिकेशन हैं।
भारत में दृष्टिहीनता
विश्व स्वास्थ्य संगठन की वर्ल्ड विजन रिपोर्ट के अनुसार, भारत में 1981 से 2012 के बीच मोतियाबिंद सर्जरी की दर में नौ गुना वृद्धि हुई है।
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