भारत-अमेरिका जलवायु वित्त (Climate Finance) पर फोकस करेंगे
अमेरिकी जलवायु दूत जॉन केरी (John Kerry) भारत की चार दिवसीय यात्रा पर आये थे। अपनी यात्रा के दौरान उन्होंने केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री श्री प्रकाश जावड़ेकर (Prakash Javadekar) से मुलाकात की। इस बैठक के दौरान, नेताओं ने संयुक्त अनुसंधान, सहयोग और जलवायु वित्त सहित कई मुद्दों पर चर्चा की।
भारत का उत्सर्जन (India’s Emissions)
अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (International Energy Agency) के अनुसार, भारत कार्बन डाइऑक्साइड का तीसरा सबसे बड़ा उत्सर्जक है। अमेरिका दुनिया में कार्बन डाइऑक्साइड का सबसे बड़ा उत्सर्जक है। चीन कार्बन डाइऑक्साइड के दूसरे सबसे बड़े उत्सर्जक के रूप में अमेरिका के पीछे है। भारत ने 2022 तक 175 गीगावॉट नवीकरणीय ऊर्जा का उत्पादन करने और 2030 तक 450 गीगावॉट का एक महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा है।
जलवायु वित्त (Climate Finance)
जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन (United Nations Framework Convention on Climate Change) के अनुसार, जलवायु वित्त वह वित्त है जिसका उद्देश्य उत्सर्जन को कम करना है और मानव और पारिस्थितिक प्रणालियों के लचीलेपन की वृद्धि को बनाए रखता है।
भारत के लिए जलवायु वित्त की आवश्यकता
भारत ने अपने कार्बन उत्सर्जन को कम करने के महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किए हैं। यह अनुमान है कि भारत को राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान प्राप्त करने के लिए 2015 और 2030 के बीच 2.5 ट्रिलियन अमरीकी डालर की आवश्यकता होगी।
पृष्ठभूमि
जॉन केरी ने भारत का दौरा “Leader’s Summit on Climate” से पहले हुआ है।
Leader’s Summit on Climate
‘Leader’s Summit on Climate’ की मेजबानी अमेरिका द्वारा की जाती है। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाईडेन ने पीएम मोदी सहित 40 विश्व नेताओं को ‘Leader’s Summit on Climate’ में आमंत्रित किया है। यह शिखर सम्मेलन संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन, COP-26 के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है, जिसे नवंबर 2021 में ग्लासगो में आयोजित किया जायेगा। ‘Leader’s Summit on Climate’ और COP-26 का मुख्य उद्देश्य ग्लोबल वार्मिंग 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखने के प्रयासों को उत्प्रेरित करना है।
इस शिखर सम्मेलन के दौरान, अमेरिका अपने नए राष्ट्रीय निर्धारित अंशदान (Nationally Determined Contribution) के रूप में अपने महत्वाकांक्षी 2030 उत्सर्जन लक्ष्य की घोषणा करेगा।
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