सैमुअल हैनीमैन (Samuel Hahnemann) कौन थे?

हर साल, विश्व होम्योपैथी दिवस (World Homeopathy Day) 10 अप्रैल को मनाया जाता है। होम्योपैथी के संस्थापक डॉ. सैमुअल हैनीमैन (Samuel Hahnemann) की जयंती मनाने के लिए यह दिन मनाया जाता है। भारत में, होम्योपैथी दिवस निम्नलिखित थीम के तहत मनाया गया:

थीम: Homeopathy: Roadmap for Integrative Medicine

सैमुअल हैनीमैन कौन थे?

डॉ. सैमुअल हैनीमैन का जन्म 10 अप्रैल, 1755 को हुआ था। वह एक जर्मन चिकित्सक थे और उन्हें वैकल्पिक चिकित्सा की छद्म वैज्ञानिक प्रणाली बनाने के लिए जाना जाता था। इस छद्म वैज्ञानिक प्रणाली को होम्योपैथी कहा जाता है। यह ऐसी प्रथाओं का एक समूह है जो वैज्ञानिक और तथ्यात्मक हैं लेकिन वैज्ञानिक तरीकों से असंगत हैं।

डॉ. हैनीमैन इस तथ्य से असंतुष्ट थे कि कई बार उनके समय में दवाओं ने लाभ से ज्यादा नुकसान पहुंचाया। इस प्रकार, उन्होंने 1784 में चिकित्सा का अभ्यास करना छोड़ दिया। फिर, उन्होंने दवाओं में कथित त्रुटियों के कारणों की जांच शुरू कर दी।

सैमुअल ने होम्योपैथी का आविष्कार कैसे किया?

उन्होंने पाया किया कि सिनकोना (Cinchona) पेड़ की छाल मलेरिया के इलाज में प्रभावी थी। उनके अनुसार, पेरू के पेड़ की एस्ट्रिंजेंसी (astringency) के कारण यह संभव था। एस्ट्रिंजेंसी वह गुण है जो त्वचा कोशिका या शरीर की अन्य कोशिकाओं को संकुचित करती है।

मानव शरीर पर सिनकोना के प्रभाव के बारे में शोध करने के लिए उन्होंने इसे स्वयं उपयोग किया। इस दवा ने उसके बाद मलेरिया जैसे लक्षणों को प्रेरित किया। इसके साथ उन्होंने निष्कर्ष निकाला कि यह किसी भी स्वस्थ व्यक्ति में ऐसा करेगा।

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