भारत और जर्मनी ने समुद्री वातावरण में प्रवेश करने वाले प्लास्टिक का मुकाबला करने के लिए समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये

भारत और जर्मनी ने हाल ही में “नगरीय संयोजन प्लास्टिक के समुद्री पर्यावरण पर एक समझौता ज्ञापन” (Cities Combating Plastic Entering the Marine Environment) पर हस्ताक्षर किए हैं। यह स्वच्छ भारत मिशन-शहरी के उद्देश्य के अनुरूप है।

मुख्य बिंदु

  • इस एमओयू के अनुसार, कार्यान्वित होने वाली परियोजना मुख्य रूप से स्थायी ठोस अपशिष्ट प्रबंधन पर केंद्रित है।
  • यह भारत को 2022 तक सिंगल यूज़ प्लास्टिक को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने के लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद करेगा।
  • यह परियोजना देशों द्वारा समुद्री कचरे के क्षेत्र में सहयोग के संबंध में की गयी संयुक्त घोषणा के तहत शुरू की जा रही है। इस घोषणा पर भारत और जर्मनी ने 2019 में हस्ताक्षर किए थे।
  • इस परियोजना को मुख्य रूप से केरल, उत्तर प्रदेश और अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में लागू किया जायेगा।
  • इस परियोजना को साढ़े तीन साल की अवधि के लिए लागू किया जाना है।
  • यह मुख्य रूप से पोर्ट ब्लेयर, कोच्चि और कानपुर जैसे शहरों का समर्थन करेगा।

प्रमुख विशेषताऐं

  • यह परियोजना कचरा संग्रहण, अलगाव की अपनी प्रणाली को बेहतर बनाने में शहरों की मदद करेगी।
  • यह प्लास्टिक कचरे के विपणन को बढ़ाने की दिशा में भी काम करेगा।

महत्व

महासागरों में प्रवेश करने वाले लगभग 15% से 20% प्लास्टिक नदी तंत्र के माध्यम से आता है। इसमें से 90% का योगदान दुनिया की दस सबसे प्रदूषित नदियों द्वारा किया जा रहा है। इनमें से दो नदियाँ भारत में स्थित हैं। वे गंगा और ब्रह्मपुत्र हैं।

वर्तमान परिदृश्य

  • भारत दुनिया में समुद्री कूड़े का 12वां सबसे बड़ा स्रोत है।2025 तक, भारत के समुद्री कूड़े का पांचवा सबसे बड़ा स्रोत बनने की उम्मीद है।
  • भारत में सालाना 5 मिलियन टन प्लास्टिक की खपत होती है।इसमें से 43% प्लास्टिक सामग्री सिंगल यूज़ वाली है।

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