Patania II : प्रशांत महासागर में फंसा खनन रोबोट
एक गहरे समुद्र में खनन करने वाला रोबोट पटानिया II प्रशांत महासागर के तल पर फँस गया गया।
मुख्य बिंदु
- पटानिया II रोबोट को 13,000 फीट की गहराई पर प्रशांत महासागर में निकेल और कोबाल्ट में समृद्ध चट्टानों का पता लगाने के लिए डिज़ाइन किया गया था।जब इसका पहला परीक्षण पूरा होने के करीब था, तो रोबोट का Umbilical केबल अलग हो गया। कोबाल्ट और निकेल निम्न कार्बन प्रौद्योगिकियों (low carbon technologies) के लिए आवश्यक हैं।
- मशीन की रिकवरी की योजना बनाई जा रही है।
- यह खोज प्रशांत महासागर के क्लेरियन क्लिपर्टन जोन (Clarion Clipperton Zone) में हो रही है।
मामला क्या है?
इस रोबोट का वजन पच्चीस टन है। इसे Global Sea Mineral Resources (GSR) द्वारा विकसित किया गया था। GSR कंपनी को क्लेरियन क्लिपर्टन ज़ोन में 75,000 वर्ग किलोमीटर अनुबंध क्षेत्र प्रदान किया गया था। यह बेल्जियम के आकार का 2.5 गुना है।
क्लेरियन क्लिपर्टन ज़ोन (Clarion Clipperton Zone)
- यह एक भूगर्भीय पनडुब्बी फ्रैक्चर ज़ोन है जो 7,240 किलो मीटर लम्बी है।यह प्रशांत महासागर का एक फ्रैक्चर ज़ोन है। प्लेट टेक्टोनिक्स के कारण फ्रैक्चर जोन बनते हैं। यह एक रेखीय महासागरीय विशेषता है जो हजारों किलोमीटर लंबी चलती है।
- क्लेरियन क्लिपर्टन ज़ोन को इंटरनेशनल सीबेड अथॉरिटी द्वारा प्रशासित किया जाता है। प्राधिकरण ने इस क्षेत्र को 16 खनन दावों में विभाजित किया है।प्रत्येक खदान में 1,60,000 वर्ग किलो मीटर है।
- अंतर्राष्ट्रीय सीबेड अथॉरिटी के अनुसार, इस क्षेत्र में27 बिलियन टन निकल, 0.05 बिलियन टन कोबाल्ट और 0.23 बिलियन टन तांबा है।
- यह क्षेत्र जैव विविधता में समृद्ध है।2017 में, इस क्षेत्र में 34 से अधिक नई प्रजातियों की खोज की गई थी।
भारत का समुद्रयान प्रोजेक्ट (Samudrayaan Project of India)
यह भारत की एक प्रस्तावित गहन सागर खनन परियोजना है। इस परियोजना को राष्ट्रीय महासागर प्रौद्योगिकी संस्थान (National Institute of Ocean Technology) द्वारा कार्यान्वित किया जाना है।
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