SEBI सूचीबद्ध फर्मों के लिए फोरेंसिक ऑडिटर नियुक्त करेगा
भारतीय सुरक्षा और विनिमय बोर्ड (Security and Exchange Board of India) धोखाधड़ी को रोकने की दिशा में अपने प्रयासों को मजबूत करने के लिए सूचीबद्ध कंपनियों के वित्तीय विवरणों के फोरेंसिक ऑडिट करने के लिए लेखा परीक्षकों (auditors) की नियुक्ति पर विचार कर रहा है।
मुख्य बिंदु
हाल के दिनों में, SEBI पहले ही कई कंपनियों का फोरेंसिक ऑडिट कर चुका है। यह प्रक्रिया शुरू करने के लिए, सेबी ने योग्य चार्टर्ड एकाउंटेंट फर्मों से सूचीबद्ध कंपनियों के वित्तीय विवरणों के फोरेंसिक ऑडिट पर असाइनमेंट लेने के लिए आवेदन आमंत्रित किए हैं।
पृष्ठभूमि
अक्टूबर 2020 में, सेबी ने कई सूचीबद्ध फर्मों को अक्टूबर 2020 में फोरेंसिक ऑडिट शुरू करने के बारे में जानकारी का खुलासा करने के लिए कहा था, क्योंकि सूचना की उपलब्धता में अंतराल था।
फोरेंसिक ऑडिटिंग क्या है?
फोरेंसिक ऑडिटिंग जांच करती है कि क्या संबंधित फर्म वित्तीय रिपोर्टिंग कदाचार (financial reporting misconduct) में लिप्त हैं। यह प्रक्रिया यह निर्धारित करने के लिए विभिन्न कौशल और विधियों को लागू करती है कि क्या वित्तीय धोखाधड़ी की गयी है अथवा नहीं। यह आर्थिक क्षति गणना, दिवालियापन, दिवाला, धन शोधन, कर धोखाधड़ी, प्रतिभूति धोखाधड़ी, व्यवसाय मूल्यांकन और कंप्यूटर फोरेंसिक की तलाश करती है।
क्या आरबीआई फॉरेंसिक ऑडिटिंग की अनुमति देता है?
हां, भारतीय रिजर्व बैंक ने भी बड़े ऋण और खातों के पुनर्गठन के लिए फोरेंसिक ऑडिट अनिवार्य कर दिया है।
फोरेंसिक ऑडिटर कौन हो सकता है?
फोरेंसिक ऑडिटर या एकाउंटेंट वित्तीय एकाउंटेंट से अलग नहीं हैं। लेकिन उनके पास धोखाधड़ी का पता लगाने और उसे दस्तावेज करने के लिए कुछ विशेष कौशल हैं। इस प्रकार; बैंकिंग और वित्तीय क्षेत्र में कम से कम एक वर्ष के अनुभव के साथ किसी भी स्नातक उम्मीदवार को फॉरेंसिक ऑडिटर बनने के लिए सर्टिफाइड बैंकिंग फोरेंसिक अकाउंटेंट परीक्षा पास करनी होगी।
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