एन्क्रिप्टेड डेटा को प्राप्त करने के लिए चिप-ऑफ तकनीक (Chip-Off Technique) विकसित की गई
केंद्रीय फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला (CFSL) के फोरेंसिक वैज्ञानिकों ने एक स्वदेशी चिप-ऑफ तकनीक विकसित (chip-off technique) की है जो जांच एजेंसियों को ट्रायल कोर्ट में अपराधियों के खिलाफ विश्वसनीय सबूत पेश करने में मदद करेगी। यह तकनीक लॉक और गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त स्मार्ट फोन से एन्क्रिप्टेड डेटा (encrypted data) को प्राप्त करने में भी मदद करेगी।
मुख्य बिंदु
- इसे वैज्ञानिक अखिलेश कुमार (Akhlesh Kumar), भूषण घोडे (Bhushan Ghode) और खेवना मनियर (Khevna Maniar) ने विकसित किया था। इस तकनीक का उपयोग करते हुए, वैज्ञानिक एक स्मार्टफोन से डेटा प्राप्त कर पाए, जो आत्महत्या से मरने वाले व्यक्ति के फिंगरप्रिंट से लॉक्ड था।
चिप-ऑफ तकनीक (Chip-off Technique)
चिप-ऑफ तकनीक को छह भागों में बांटा गया है। सबसे पहले, मदरबोर्ड को प्राप्त करने के लिए इसके बैक और फ्रंट कवर, बैटरी स्क्रू आदि को हटाने के लिए हीट और एयर कॉम्बिनेशन का उपयोग करके डिवाइस को खोला जाता है। NAND फ्लैश मेमोरी मदरबोर्ड या सर्किट बोर्ड पर स्थित होती है जिसे उपयुक्त गर्मी और रसायनों का उपयोग करके भौतिक रूप से हटा दिया जाता है। फिर यदि आवश्यक हो तो हटाई गई चिप को साफ किया जाता है और चिप की फोरेंसिक छवि को इमेजिंग सॉफ्टवेयर और एडॉप्टर की मदद से पीसी से जोड़ा जाता है। आगे का विश्लेषण प्रयोगशाला में मानक सॉफ्टवेयर के साथ किया जाता है।
तकनीक की सीमाएं
यह तकनीक एप्पल आईफोन सहित उच्च एंड्रॉइड या iOS संस्करणों के मोबाइल डिवाइस पर सफल नहीं होती है। ऐसे मोबाइल उपकरणों से निकाले गए डेटा एक एन्क्रिप्टेड स्थिति में पाए जाते हैं और डिक्रिप्शन के तरीके अभी भी विकसित किये जा रहे हैं। इस तकनीक का उपयोग तभी किया जा सकता है जब सक्षम न्यायालय अनुमति प्रदान करे।
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