नासिक के बौद्ध गुफा परिसर तीन गुफाएं खोजी गयी
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (Archaeological Survey of India – ASI) ने महाराष्ट्र के नासिक में बौद्ध गुफा परिसर (Buddhist Caves Complex) में तीन गुफाओं की खोज की है।
मुख्य बिंदु
- ब्रिटिश सैन्य अधिकारी द्वारा नासिक में एक पहाड़ी पर त्रि-रश्मी बौद्ध गुफाओं (Tri-Rashmi Buddhist Caves), जिसे पांडव लेनी (Pandav Leni) भी कहा जाता है, का दस्तावेजीकरण करने के लगभग दो शताब्दियों बाद इन नई गुफाओं की खोज की जा रही है।
- गुफाओं की प्राचीनता अभी तक स्थापित नहीं हुई है।वे बौद्ध भिक्षुओं के आवास रही होंगी। पुरातत्वविदों का मानना है कि ये गुफाएं त्रि-रश्मी गुफाओं से भी पुरानी हो सकती हैं।
खोजी गई गुफाओं के बारे में
इन गुफाओं को वर्तमान परिसर की विपरीत दिशा में खोजा गया था। वे मौजूदा परिसर से लगभग 70-80 फीट ऊपर हैं और एक खड़ी पहाड़ी से उकेरी गयी हैं। वे भिक्षुओं के आवासों की तरह दिखती हैं और वर्तमान परिसर से पुरानी हैं। इन सभी गुफाओं में बरामदे और भिक्षुओं के लिए विशिष्ट वर्गाकार पत्थर का मंच शामिल है। भिक्षुओं के ध्यान करने के लिए उनके पास विशेष व्यवस्था है। गुफाओं में बुद्ध और बोधिसत्व के चित्र और इंडो-यूनानी वास्तुकला के डिजाइन वाली मूर्तियां भी हैं।
पृष्ठभूमि
बौद्ध मूर्तियां और गुफाएं “भारतीय रॉक-कट वास्तुकला” का एक महत्वपूर्ण उदाहरण हैं जो बौद्ध धर्म की हीनयान (Hinayana) परंपरा का प्रतिनिधित्व करती हैं।
पांडवलेनी गुफाएं (Pandavleni Caves)
पांडवलेनी गुफाओं को पहले ‘त्रिरश्मी गुफा’ (Trirashmi Caves) कहा जाता था। ये गुफाएं 25 गुफाओं का एक समूह है, जो दूसरी शताब्दी ईसा पूर्व और छठी शताब्दी ईस्वी के बीच त्रि-रश्मी पहाड़ी से उकेरी गई हैं। इन 25 गुफाओं में विहार और चैत्य प्रमुख गुफाएं हैं। गुफा का परिसर 1823 में कैप्टन जेम्स डेलामाइन (Captain James Delamaine) द्वारा डॉक्यूमेंट किया गया था। यह एक ASI संरक्षित स्थल और एक प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है।
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