न्यायालय की कार्यवाही की लाइव-स्ट्रीमिंग के लिए ड्राफ्ट नियम जारी किये गये
सर्वोच्च न्यायालय की ई-समिति ने कोर्ट की कार्यवाही की लाइव-स्ट्रीमिंग और रिकॉर्डिंग के लिए ड्राफ्ट मॉडल नियम जारी किए। अधिक पारदर्शिता, समावेशिता और न्याय तक पहुंच लाने के उद्देश्य से यह ड्राफ्ट मॉडल नियम जारी किए गए थे।
नियम
- इन ड्राफ्ट नियमों में जो मामले शामिल नहीं हैं- वैवाहिक मामले और उसके तहत उत्पन्न होने वाली स्थानांतरण याचिकाएं, भारतीय दंड संहिता की धारा 376 (बलात्कार) के तहत यौन अपराधों और कार्यवाही से संबंधित मामले और महिलाओं के खिलाफ लिंग आधारित हिंसा से संबंधित मामले-।
- कार्यवाही की लाइव-स्ट्रीमिंग पर अंतिम निर्णय बेंच द्वारा लिया जाएगा और खुली व पारदर्शी न्यायिक प्रक्रिया के सिद्धांत द्वारा निर्देशित किया जाएगा।
- यह अदालती कार्यवाही की लाइव स्ट्रीमिंग और रिकॉर्डिंग के लिए एक संतुलित नियामक ढांचा प्रदान करता है।
- कोर्ट रूम में पांच कोणों को कवर करते हुए कैमरे लगाए जाएंगे- बेंच की ओर, संबंधित मामले में लगे अधिवक्ताओं की ओर, अभियुक्तों की ओर और अभिसाक्षी या गवाह की ओर।
- अतिरिक्त फ़ीड को कैप्चर करने के लिए नियम एक इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य प्रस्तुति प्रणाली (electronic evidence presentation system) का उपयोग करते हैं।
- इन नियमों के अनुसार, पीठ पर पीठासीन न्यायाधीश को किसी भी समय लाइव-स्ट्रीमिंग को रोकने के लिए रिमोट-कंट्रोल डिवाइस प्रदान की जाएगी।
- कोर्ट रूम की भीड़ कम करने के लिए कोर्ट परिसर के भीतर लाइव-स्ट्रीम देखने के लिए समर्पित कमरा आवंटित किया जाएगा।
ई-समिति
इस समिति में बॉम्बे हाई कोर्ट, दिल्ली उच्च न्यायालय, मद्रास उच्च न्यायालय, कर्नाटक उछ न्यायालय के न्यायधीश शामिल थे, जिन्होंने लाइव स्ट्रीमिंग नियमों का मसौदा तैयार किया। इस समिति ने सभी हितधारकों से मसौदा नियमों पर इनपुट, फीडबैक और सुझाव आमंत्रित किए।
कौन से अनुच्छेद नियम बनाने की शक्ति प्रदान करते हैं?
ये नियम उच्च न्यायालय द्वारा संविधान के अनुच्छेद 225 और अनुच्छेद 227 के अनुसार बनाए गए थे।
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