RBI ने G-Sec नीलामी पद्धति में बदलाव किया

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने बाजार की स्थितियों और सरकार के बाजार उधार कार्यक्रम की समीक्षा करते हुए तय किया है कि 2 साल की अवधि, 3 साल की अवधि, 5 साल की अवधि, 10 साल की अवधि और 14 साल की अवधि की बेंचमार्क प्रतिभूतियां और फ्लोटिंग रेट बांड (Floating Rate Bonds) एक समान मूल्य नीलामी पद्धति का उपयोग करके जारी किए जाएंगे। हालांकि, 30-वर्ष और 40-वर्ष की बेंचमार्क प्रतिभूतियों के लिए, नीलामी एकाधिक मूल्य-आधारित नीलामी जारी रहेगी।

सरकारी प्रतिभूति (Government Security) क्या है?

G-sec एक व्यापार योग्य साधन है जो केंद्र सरकार या राज्य सरकारों द्वारा जारी किया जाता है। यह सरकार के ऋण दायित्व को स्वीकार करता है। G-sec दो प्रकार के होते हैं:

  1. लघु अवधि– इन्हें आमतौर पर ट्रेजरी बिल कहा जाता है। उनकी मूल परिपक्वता एक वर्ष से कम है। यह तीन अवधियों अर्थात 91-दिन, 182-दिन और 364-दिन में जारी किया जाता है।
  2. दीर्घावधि– इन्हें आमतौर पर सरकारी बांड या दिनांकित प्रतिभूतियां कहा जाता है जिनकी मूल परिपक्वता एक वर्ष या उससे अधिक की होती है।

इन प्रतिभूतियों को कौन जारी करता है?

भारत में, ट्रेजरी बिल और बांड या दिनांकित प्रतिभूतियां केंद्र सरकार द्वारा जारी की जाती हैं जबकि राज्य सरकारें केवल बांड या दिनांकित प्रतिभूतियां जारी करती हैं। राज्य सरकारों द्वारा जारी बांड को राज्य विकास ऋण (State Development Loans) कहा जाता है।

सरकारी प्रतिभूतियों से जुड़े जोखिम

सरकारी प्रतिभूतियों में चूक (default) का कोई जोखिम नहीं होता है। इस प्रकार, उन्हें “risk-free gilt-edged” उपकरण भी कहा जाता है। गिल्ट-एज सिक्योरिटीज (Gilt-edged securities) उच्च श्रेणी के निवेश बांड हैं जो सरकारों और बड़े निगमों द्वारा धन उधार लेने के लिए पेश किए जाते हैं।

पृष्ठभूमि

डच गणराज्य बांड के माध्यम से अपने ऋण का वित्तपोषण करने वाला पहला राज्य था। इसने 1517 में एम्स्टर्डम शहर द्वारा जारी किए गए बांडों को ग्रहण किया। तब औसत ब्याज दर में लगभग 20% का उतार-चढ़ाव आया था।

 

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