केरल में जीका वायरस (Zika Virus) के मामले दर्ज किये गये
राज्य में कोविड-19 मामलों में वृद्धि के बीच, केरल ने आधिकारिक तौर पर जीका वायरस के अपने पहले मामले की पुष्टि की है, यह एक मच्छर जनित वायरल संक्रमण (mosquito-borne viral infection) है।
मुख्य बिंदु
- जीका वायरस से संक्रमित होने के संदेह में 13 व्यक्तियों के नमूने पुणे के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी भेजे गए हैं।
- इस वायरल संक्रमण के लक्षणों में बुखार, त्वचा पर चकत्ते, मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द, अस्वस्थता, नेत्रश्लेष्मलाशोथ (conjunctivitis) और सिरदर्द शामिल हैं।
जीका वायरस (Zika Virus)
जीका वायरस फ्लेविविरिडे (Flaviviridae) वायरस परिवार का सदस्य है। यह दिन के समय सक्रिय रहने वाले एडीज मच्छरों जैसे ए. इजिप्टी और ए. एल्बोपिक्टस से फैलता है। इसका नाम युगांडा के जीका फ़ॉरेस्ट से लिया गया है, जहाँ वायरस को पहली बार 1947 में आइसोलेट किया गया था। जीका वायरस में डेंगू, पीला बुखार, जापानी एन्सेफलाइटिस और वेस्ट नाइल वायरस के समान जीनस है। 1950 के दशक से वायरस अफ्रीका से एशिया तक संकीर्ण भूमध्यरेखीय बेल्ट के भीतर फैला। यह 2007 से पूर्व की ओर फैलने लगा। परिणामस्वरूप, यह 2015-2016 में महामारी बन गया।
जीका वायरस कैसे फैलता है?
जीका वायरस एडीज प्रजाति के मच्छरों से फैलता है। ये वायरस पूरे राज्य में उच्च घनत्व में पाए जाते हैं। एडीज मच्छर डेंगू के वाहक हैं और ठहरे हुए मीठे पानी में प्रजनन करते हैं।
वायरल संक्रमण के प्रभाव
ये वायरस जन्म दोष (birth defects) और गुइलेन-बैरे सिंड्रोम (Guillain-Barre syndrome) के विकास से जुड़े हुए हैं, जिसमे व्यक्ति की प्रतिरक्षा प्रणाली तंत्रिकाओं पर हमला करती है। कभी-कभी, यह संक्रमण लक्षणहीन हो सकता है। यह वायरल संक्रमण गर्भवती महिलाओं में भ्रूण के विकास को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचा सकता है और जन्मजात विसंगतियों को जन्म दे सकता है।
इसका इलाज कैसे किया जा सकता है?
जीका वायरस के लिए फिलहाल कोई टीका या इलाज नहीं है।
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