भारतीय शास्त्रीय शब्द
भारतीय शास्त्रीय शब्द भारत की जातीयता को प्रतिध्वनित करते हुए भारतीयों की पौराणिक कथाओं, दर्शन, साहित्य, कला, प्राचीन वस्तुओं, रीति-रिवाजों और रीति-रिवाजों के उदाहरण हैं।
भारतीय शास्त्रीय शब्दों की उत्पत्ति
भारतीय शास्त्रीय शब्दों की जड़ें भारतीय मिथकों के साथ गहराई से जुड़ी हुई हैं। यह 7200 ईसा पूर्व से है जब ऋग्वेद के पहले भजन की रचना की गई थी। ऋग्वेद की ऋचायेँ प्रकृति की उदारता का अनुभव करते हुए प्रदर्शित किए थे। वह एक नए विचार की शुरुआत थी। यद्यपि वैदिक साहित्य में भारतीय शास्त्रीय शब्दों की सूक्ष्म उपस्थिति थी फिर भी बहुत विस्तृत तरीके से ये भारतीय लोककथाओं, दंतकथाओं, किंवदंतियों और मिथकों में पाए जा सकते हैं।
भारतीय शास्त्रीय शब्दों का महत्व
समृद्ध संस्कृति और गहरी परंपरा में भारतीय संस्कृति के विभिन्न पहलू शामिल हैं। भारत की वास्तविक आभा इस प्रकार भारतीय विरासत के अनुष्ठान, विश्वास और रीति-रिवाजों के बीच सबसे अच्छी तरह से समझी जा सकती है, जिसने भारतीय इतिहास को नया रूप दिया है। विविध परंपराओं की शिखा और समृद्ध जातीयता का प्रतीक भारतीय शास्त्रीय शब्द इस प्रकार भारतीय धर्मों, दर्शन, अनुष्ठानों और मिथकों को उपयुक्त रूप से प्रदर्शित करते हैं।