ट्रेनों के देरी से चलने पर रेलवे को मुआवजा देना होगा : सर्वोच न्यायालय

सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया है कि अगर ट्रेनें देरी से चलती हैं तो भारतीय रेलवे को यात्रियों को मुआवजा देना चाहिए।

मुख्य बिंदु 

  • सुप्रीम कोर्ट ने ट्रेनों के देरी से चलने के लिए भारतीय रेलवे को फटकार लगाई है।
  • ट्रेन के देरी से चलने से लोगों को काफी परेशानी होती है।

मामला क्या था?

शीर्ष अदालत ने एक यात्री को दिए गए मुआवजे को बरकरार रखा है, जिसकी ट्रेन 2016 में अपने परिवार के साथ जम्मू की यात्रा करते समय चार घंटे की देरी से चल रही थी। वे अपनी फ्लाइट को पकड़ने से चूक गए। नतीजतन, उन्हें श्रीनगर के लिए एक महंगी टैक्सी लेनी पड़ी। वे डल झील पर एक नाव की बुकिंग से भी चूक गए। इस घटना के बाद यात्री ने राजस्थान के अलवर में जिला उपभोक्ता शिकायत मंच में मामला दर्ज कराया। फोरम ने उत्तर-पश्चिम रेलवे को फ्लाइट छूटने के कारण यात्री और उसके परिवार को होने वाले खर्च के लिए 30,000 रुपये का मुआवजा देने का निर्देश दिया।

रेलवे की प्रतिक्रिया

रेलवे ने फोरम के आदेश के खिलाफ अपील की थी। लेकिन इसके तर्कों को राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग, नई दिल्ली सहित विभिन्न मंचों ने खारिज कर दिया। इसके बाद रेलवे ने यात्री को दिए गए मुआवजे के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की। सुप्रीम कोर्ट में, दो-न्यायाधीशों की खंडपीठ ने कहा कि रेलवे किसी भी यात्री को मुआवजे का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी है, जो इसके खिलाफ दावा दायर करता है, अगर रेलवे ट्रेन के देरी से चलने का औचित्य या वैध कारण प्रदान करने में विफल रहता है।

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