केंद्र के ई-पोर्टल के साथ भूमि अभिलेख (land records) को एकीकृत किया गया

केंद्र सरकार के अनुसार, तीन को छोड़कर अधिकांश राज्यों द्वारा भूमि अभिलेखों को केंद्र सरकार के ई-पोर्टल के साथ एकीकृत किया गया है।

मुख्य बिंदु 

  • सरकार ने आगे कहा कि खरीफ विपणन सीजन 2021-22 में खरीद नए तंत्र के अनुसार की जाएगी।
  • तीन राज्य जिन्होंने अपने डिजिटल भूमि रिकॉर्ड को नोडल खरीद एजेंसी, भारतीय खाद्य निगम (FCI) के साथ एकीकृत नहीं किया है, उनमें शामिल हैं- असम, उत्तराखंड और जम्मू और कश्मीर।
  • खरीद से पहले भूमि रिकॉर्ड की क्रॉस-चेकिंग से यह सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी कि MSP किसानों तक पहुंचे न कि व्यापारियों तक।
  • किसानों द्वारा अपनी जमीन या किराए की संपत्ति में उगाई जाने वाली फसल सरकार द्वारा खरीदी जाएगी।
  • पोर्टल पर पंजीकरण के लिए किसानों को भूमि अभिलेखों के भौतिक प्रमाण देने की आवश्यकता नहीं होगी।

योजना का उद्देश्य

यह तंत्र यह पता लगाने के उद्देश्य से शुरू किया गया था कि किसी विशेष क्षेत्र में कितनी फसल की खेती की गई है और सरकार वास्तविक किसानों से कितनी खरीद करती है न कि व्यापारियों से।

डिजिटल इंडिया भूमि अभिलेख आधुनिकीकरण कार्यक्रम (DILRMP)

यह एक केंद्रीय क्षेत्र की योजना है जिसे अब 2020-21 तक बढ़ा दिया गया है, जिसकी कुल लागत  950 करोड़ रुपये है। यह योजना भारत में एक उपयुक्त एकीकृत भूमि सूचना प्रबंधन प्रणाली (Integrated Land Information Management System – ILIMS) विकसित करने के लिए कई राज्यों में भूमि रिकॉर्ड के क्षेत्र में मौजूद समानताएं बनाने का प्रयास करती है।

एकीकृत भूमि सूचना प्रबंधन प्रणाली (Integrated Land Information Management System – ILIMS)

ILIMS में  स्वामित्व, कराधान, भूमि उपयोग, स्थान की सीमाएं, भार, भूमि मूल्य आदि की जानकारी शामिल है।

भूमि रिकॉर्ड डेटाबेस को बैंकों से जोड़ना

DILRMP के अगले चरण में बैंकों के साथ भूमि रिकॉर्ड डेटाबेस को जोड़ना शामिल है। यह सेवा वितरण में वृद्धि करेगा और कृषि, वित्त और आपदा प्रबंधन जैसे क्षेत्रों में योजनाओं के इनपुट के रूप में भी कार्य करेगा।

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