मद्रास उच्च न्यायालय ने 120 किमी प्रति घंटे की गति सीमा तय करने की अधिसूचना को रद्द किया
मद्रास उच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार की 2018 की अधिसूचना को रद्द कर दिया है जिसमें राजमार्गों और एक्सप्रेसवे पर 120 किमी / घंटा की गति तय की गई थी।
मुख्य बिंदु
- हाई कोर्ट का यह आदेश एक अपील पर दिया। यह अपील एक अपीलकर्ता के. शैला को दिए गए मुआवजे को बढ़ाने की मांग कर रही थी।
- केंद्र सरकार की अधिसूचना में, एक्सप्रेसवे पर 120 किमी/घंटा, राष्ट्रीय राजमार्गों पर 100 किमी/घंटा, जबकि एम 1 श्रेणी के वाहनों के लिए गति सीमा 60 किमी/घंटा निर्धारित की गई थी।
केंद्र सरकार की अधिसूचना क्यों रद्द की गई?
जस्टिस एन. किरुबाकरण और टी.वी. तमिलसेल्वी ने कहा कि, अधिक गति मृत्यु का मुख्य कारण है और अधिकांश दुर्घटनाओं के लिए जिम्मेदार है। इस तथ्य को जानने के बावजूद, सरकार ने वाणिज्यिक कारणों सहित विभिन्न कारणों से गति सीमा बढ़ा दी है। इससे अधिक मौतें हो रही हैं। इसका हवाला देते हुए यहअधिसूचना रद्द कर दी गई।
भारत में सड़क दुर्घटनाएं
सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय की 2020 की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में हर घंटे 6 दोपहिया सवारों की मौत हो जाती है। ज्यादातर दोपहिया वाहन चालक तेज रफ्तार से हादसों को न्यौता दे रहे हैं।
मौतों को कैसे रोका जा सकता है?
उच्च न्यायालय ने कहा कि, दो पहिया वाहनों के निर्माताओं को विनिर्माण स्तर पर ही सभी दोपहिया वाहनों में स्पीड गवर्नर स्थापित करने का निर्देश देना संबंधित सरकार का कर्तव्य है। इससे वाहन की गति को नियंत्रित करने में मदद मिलेगी, जिससे मौतों को रोका जा सकेगा और दुर्घटनाएं टलेंगी।
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