‘केसर-ए-हिंद’ को अरुणाचल की राजकीय तितली के रूप में मंज़ूरी दी गई
मुख्यमंत्री पेमा खांडू (Pema Khandu) की अध्यक्षता में अरुणाचल प्रदेश के राज्य मंत्रिमंडल ने 13 नवंबर, 2021 को “केसर-ए-हिंद” को राज्य तितली के रूप में मंजूरी दी।
मुख्य बिंदु
- केसर-ए-हिंद’ एक बड़ी और चमकीले रंग की तितली है।
- यह एक स्वालोटेल बटरफ्लाई है।
- यह चीन में पाई जाती है और अब इसे अरुणाचल प्रदेश की राज्य तितली के रूप में स्वीकृत किया गया है।
कैबिनेट बैठक
- सरकार ने पहली बार ईटानगर के बाहर कैबिनेट की बैठक की। यह पक्के टाइगर रिजर्व में आयोजित की गई थी।
- इस बैठक के दौरान, कैबिनेट ने उत्सर्जन को कम करने और सतत विकास के उद्देश्य से ‘जलवायु परिवर्तन-लचीला और उत्तरदायी अरुणाचल प्रदेश पर पक्के टाइगर रिजर्व 2047 घोषणा’ को भी अपनाया।
केसर-ए-हिन्द
केसर-ए-हिंद को वैज्ञानिक रूप से टीनोपालपस इम्पीरियलिस (Teinopalpus imperialis) के रूप में जाना जाता है। शाब्दिक रूप से इसका अर्थ ‘भारत का सम्राट’ होता है। तितली का पंख 90-120 मिमी का होता है।
केसर-ए-हिन्द का वितरण
यह पूर्वी हिमालय के साथ छह राज्यों में जंगली इलाके में 6,000-10,000 फीट की ऊंचाई पर पाई जाती है। यह भूटान, नेपाल, लाओस, म्यांमार, दक्षिणी चीन और वियतनाम में भी पाई जाती है।
तितली की सुरक्षा स्थिति
केसर-ए-हिंद वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 की अनुसूची II के तहत संरक्षित है। इसके बावजूद, तितली संग्राहकों को आपूर्ति के लिए उनका शिकार किया जाता है।
IUCN स्थिति
इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर ने केसर-ए-हिंद को रेड लिस्ट में शामिल कर दिया है।
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