सरयू नहर राष्ट्रीय परियोजना (Saryu Canal National Project) : मुख्य बिंदु

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 11 दिसंबर को उत्तर प्रदेश के बलरामपुर जिले में 9,802 करोड़ रुपये की सरयू नहर राष्ट्रीय परियोजना (Saryu Canal National Project) का उद्घाटन करेंगे।

सरयू नहर परियोजना (Saryu Canal Project)

  • सरयू नहर परियोजना उत्तर प्रदेश में सबसे बड़ी है।
  • इससे उत्तर प्रदेश के बहराइच, गोंडा, बस्ती, श्रावस्ती, बलरामपुर, संत कबीर नगर, सिद्धार्थनगर, गोरखपुर और महाराजगंज के 25-30 लाख किसानों को लाभ होगा।
  • इस नहर से 14.04 लाख हेक्टेयर भूमि में सिंचाई की सुविधा होगी, साथ ही क्षेत्र के कई बाढ़ संभावित क्षेत्रों में बाढ़ के खतरे को कम किया जा सकेगा।
  • इस परियोजना के तहत सिंचित क्षेत्र 4.04 लाख हेक्टेयर होगा।

परियोजना के तहत जुड़ी नदियाँ

इस परियोजना के तहत पांच नदियों घाघरा, राप्ती, बाणगंगा, सरयू और रोहिणी को जोड़ा गया है।

नहर की लंबाई

नहर की कुल लंबाई 6,600 किलोमीटर है और इन्हें 318 किलोमीटर लंबी मुख्य नहर से जोड़ा गया है।

परियोजना का इतिहास

  • 78.68 करोड़ रुपये की लागत से दो जिलों में सिंचाई सुविधा प्रदान करने के लिए 1978 में इस परियोजना को छोटे पैमाने पर शुरू किया गया था।
  • वर्ष 1982 में इसका विस्तार नौ जिलों में किया गया और इसका नाम बदलकर सरयू नहर राष्ट्रीय परियोजना कर दिया गया।
  • इस परियोजना की लागत 2021 तक बढ़कर 9,802 करोड़ रुपये हो गई।

सरयू नदी (Saryu River)

सरयू नदी उत्तराखंड के बागेश्वर जिले में नंदा कोट पर्वत के दक्षिण में एक पहाड़ी से निकलती है। यह कपकोट, सेराघंट और बागेश्वर कस्बों से होकर बहती है और अंत में पंचेश्वर में शारदा नदी में गिरती है, जो भारत-नेपाल सीमा पर स्थित है। इसके बाद यह उत्तर प्रदेश के सीतापुर जिले में घाघरा नदी में मिल जाती है। लोअर घाघरा को सरयू नदी के नाम से भी जाना जाता है, खासकर जब यह अयोध्या शहर से होकर बहती है। रामायण में इस नदी का कई बार उल्लेख किया गया है।

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