पैंगोंग त्सो (Pangong Tso) में चीन बना रहा है पुल
पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन के बीच जारी गतिरोध के बीच चीन पैंगोंग त्सो (Pangong Tso) पर एक और पुल बना रहा है। इस निर्माण का पता सैटेलाइट इमेज से लग रहा है।
मुख्य बिंदु
- चीन पैंगोंग त्सो के उत्तरी तट पर और दक्षिण तट पर चुशुल उप-क्षेत्र पर घर्षण बिंदुओं (friction points) के पास पुल का निर्माण कर रहा है। यह पुल लगभग 400 मीटर लंबा और 8 मीटर चौड़ा है।
- यह पुल उत्तरी तट पर फिंगर 8 से लगभग 20 किमी पूर्व में बनाया जा रहा है।
विवाद
- भारत के मुताबिक, वास्तविक नियंत्रण रेखा फिंगर 8 पर स्थित है।
- इस पुल का निर्माण स्थल भारत की दावा रेखा के भीतर है। हालांकि यह इलाका 1958 से चीन के नियंत्रण में है।
- पैंगोंग त्सो 135 किलोमीटर लंबी भूमि से घिरी झील है। इस झील का लगभग दो-तिहाई हिस्सा चीनी नियंत्रण में है। यह पुल आधे रास्ते के करीब है।
पुल और क्षेत्र का महत्व
फिंगर 4 मौजूदा गतिरोध में पहले घर्षण क्षेत्रों में से एक था। यहाँ पर अक्सर झड़पें होती रहती हैं। इसके अलावा, मई 2020 में पैंगोंग त्सो झील के किनारे सबसे संवेदनशील घर्षण बिंदुओं में से थे। फरवरी 2021 में सैनिकों और टैंकों ने कुछ स्थानों पर कुछ सौ मीटर की दूरी पर एक-दूसरे का सामना किया।
चीन के लिए यह पुल आवश्यक क्यों है?
यह पुल चीन को झील के सबसे संकरे बिंदुओं पर दोनों किनारों के बीच PLA सैनिकों की त्वरित लामबंदी में मदद करेगा। कैलाश पर्वतमाला इस पुल स्थल से लगभग 35 किमी पश्चिम में है। सूत्रों के मुताबिक, जब भारत ने इस ऑपरेशन को अंजाम दिया तो चीनी सैनिक तेजी से लामबंद नहीं हो पाए। अब, यह पुल चीनी सैनिकों को आसानी से पार करने में सक्षम करेगा, और कैलाश रेंज तक यात्रा के समय को 12 घंटे से घटाकर 4 घंटे कर देगा।
भारत की प्रतिक्रिया
भारत पुल निर्माण गतिविधि की बारीकी से निगरानी कर रहा है। चूंकि, इस पुल का निर्माण उन क्षेत्रों में किया जा रहा है, जिन पर चीन ने 60 वर्षों से अवैध रूप से कब्जा कर रखा है, केंद्र सरकार भारत के सुरक्षा हितों को सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक कदम उठा रही है। भारत उत्तरी सीमा पर बुनियादी ढांचे का अपग्रेडेशन और विकास भी कर रहा है। इसमें सुरंगे, सड़कों, हर मौसम में संपर्क, अतिरिक्त पुल, रणनीतिक रेलवे लाइनें और आपूर्ति के लिए भंडारण सुविधाएं शामिल हैं। भारत अतिरिक्त सैनिकों को भी शामिल कर रहा है। इस क्षेत्र में 25,000 अतिरिक्त सैनिकों के लिए बुनियादी ढांचे और बिलेटिंग सुविधाओं का निर्माण किया गया है।
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