चारण कविता
राजस्थानी साहित्य को आकार देने में चारण कविता का योगदान अमूल्य रहा है। चारण शैली काव्य राजस्थान में प्राचीन और मध्यकालीन दोनों युगों में विकसित हुआ। राजस्थानी कविता के इस रूप का नाम चारण समुदाय के नाम पर रखा गया है। चारण और राजपूतों के बीच संबंध इतिहास में बहुत गहरे थे। चारण कवि अपने नायकों के साथ युद्ध के मैदान में जाते थे। कई बार वे लड़ाई में भाग लिया करते थे। चारण कवितायें समकालीन राजपूत जीवन का हिस्सा थीं। इनमें बुनियादी ऐतिहासिक सत्य और विशद, यथार्थवादी और चित्रमय विवरण था। विद्वानों द्वारा इसकी सराहना की गई है। चारण कविता शैली में अधिकतर वर्णनात्मक हैं। सबसे पहले विभिन्न नामों से जाना जाता है, जैसे, रस, रसौ, रूपक, प्रकाश, चरिद, विलास, प्रबंध, अयान, संवाद, आदि। चारण कविता में गीत (डिंगल गीत), दोहा, छप्पय, निसानी आदि शामिल हैं। गीत राजस्थानी कविता की एक अनूठी विशेषता है। गीत 120 प्रकार के बताए गए हैं, लेकिन सभी प्रकार के अब उपलब्ध नहीं हैं। छंद पर ग्रंथों में संख्या 72 से 91 तक भिन्न होती है। गीत एक छोटी कविता की तरह है। ऐतिहासिक कार्यों की स्मृति में हजारों गीत लिखे गए हैं। अनेक गीत समकालीन रचनाएँ हैं। ऐसी रचनाओं को साक्षी काव्य कहा जाता है। गीत नायकों के जीवन काल की व्याख्या करते हैं।