दक्षिण बंगाल हाथी गलियारा : मुख्य बिंदु

दक्षिण बंगाल में खंडित और खस्ताहाल जंगल भारत में मानव-हाथी संघर्ष के आकर्षण के केंद्र बन गए हैं। इसके परिणामस्वरूप मनुष्यों के साथ-साथ हाथियों की जान भी जा रही है।

मुख्य बिंदु 

  • यह संघर्ष अक्सर कानून-व्यवस्था की समस्याओं का कारण बनता है।
  • नवंबर 2021 में, लगभग 50 हाथी पूर्वी बर्दवान शहर के 5 किमी के भीतर आ गये थे। इस घटना ने जिला प्रशासन को क्षेत्र की कुछ ग्राम पंचायतों में निषेधाज्ञा लागू करने के लिए प्रेरित किया।

मृतकों की संख्या

2014 और 2019 के बीच, पूरे भारत में हाथियों के हमलों में लगभग 2,381 मानव मौतें दर्ज की गईं। इनमें से 403 लोगों की मौत पश्चिम बंगाल से हुई, जो कुल मौत का 16% है। पश्चिम बंगाल में  हाथियों की आबादी का 3% से भी हिस्सा रहता है। इसने संघर्षों में हाथियों की उच्च मृत्यु संख्या दर्ज की है।

हाथी गलियारों की बहाली

हाथी-मानव संघर्ष को कम करना इस क्षेत्र की अति महत्वपूर्ण आवश्यकता है। इसलिए, वन्यजीव विशेषज्ञों और संगठनों ने अब दक्षिण बंगाल क्षेत्र में हाथी गलियारों की पारिस्थितिक बहाली का काम शुरू किया है। वनों का क्षरण इस क्षेत्र में कृषि गतिविधियों में वृद्धि के कारण शुरू नहीं हुआ है बल्कि सामुदायिक वानिकी (community forestry) जैसे संयुक्त वन प्रबंधन की भागीदारी के कारण भी हुआ है। इस प्रकार, उत्तरायण वाइल्डलाइफ (Uttarayan Wildlife) की एक पारिस्थितिकीविद् दीया बनर्जी (Diya Banerjee) पांच साल की बहाली परियोजना का नेतृत्व कर रही हैं। इस परियोजना का उद्देश्य एक संतुलित पारिस्थितिकी तंत्र बनाना है, ताकि मानव और जानवर संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों के अनुरूप सह-अस्तित्व में रह सकें।

हाथी गलियारा क्या है? (What is Elephant Corridor?)

हाथी गलियारा भूमि की एक संकरी पट्टी होती है, जो हाथियों के दो बड़े आवासों को जोड़ती है। यह दुर्घटनाओं और अन्य कारणों से पशुओं की मृत्यु को कम करने के लिए महत्वपूर्ण है।

हाथी गलियारों की सुरक्षा की क्या जरूरत है?

हाथी गलियारों को संरक्षित करने की आवश्यकता है, क्योंकि यह सुनिश्चित करने के लिए हाथियों की आवाजाही आवश्यक है कि उनकी आबादी आनुवंशिक रूप से व्यवहार्य हो। यह उन वनों को पुनर्जीवित करने में भी मदद करता है जिन पर अन्य प्रजातियां निर्भर करती हैं। आंकड़ों के अनुसार, लगभग 40% हाथी भंडार असुरक्षित हैं, क्योंकि वे संरक्षित पार्कों और अभयारण्यों के भीतर नहीं हैं।

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