रंगपुर, हड़प्पा स्थल

रंगपुर, हड़प्पा सभ्यता के स्थलों में से एक है। रंगपुर में हड़प्पावासियों की सबसे पुरानी बस्ती के स्थान पर अब झोपड़ियाँ हैं और गाँव के उत्तर-पश्चिम का स्थान नष्ट हो गया है। रंगपुर के लोगों ने मिट्टी-ईंटों का उपयोग करके घरों का निर्माण किया और नालियों के लिए भट्टी में जली हुई ईंटों का उपयोग किया। जली हुई ईंटों का औसत आकार 11 से 11 1/2 इंच होता है। बाढ़ से बचाव के लिए घरों का निर्माण प्लेटफॉर्म पर किया गया था। बाढ़ के कारण अनेक घर नष्ट हुए इसलिए घरों को ऊपर उठाने के लिए अधिक ऊंचाई पर बनाया गया। सार्वजनिक और निजी दोनों नालों का निर्माण भट्टी में पकी ईंटों से किया गया था। रंगपुर में मिले घरों की फिसलन वाले मलबे पर नींव रखी जाती थी।
फर्श को मिट्टी की ईंटों से पक्का किया गया था। जली हुई ईंटों से नालों को पक्का किया गया। जहां मिट्टी-ईंटें कमजोर होती थीं वहाँ चूने का भी इस्तेमाल किया जाता था। बारिश के पानी की निकासी के लिए नालों का निर्माण किया गया था। पुराने मकानों के मलबे पर मिट्टी-ईंट के घर बनने लगे, जो आवास की आर्थिक स्थिति में काफी सुधार का संकेत देते हैं। छप्पर की छत को सहारा देने के लिए लकड़ी के खंभों का उपयोग किया गया है। दीवारें पतली थीं इनके निर्माण में प्रयोग की जाने वाली काली मिट्टी के कारण मिट्टी की ईंटें आसानी से बिखर जाती थीं। अधिरचना के लिए मिट्टी-ईंटों के अतिरिक्त चूने के मोर्टार के उपयोग से घरों के निर्माण में और सुधार का संकेत मिलता है। कमरों का आकार पहले से बड़ा था। फर्श कंकड़ से बना था।

Advertisement

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *