हरित वित्त पोषण (Green Financing) क्या है?
नीति आयोग के अनुसार, भारत में स्वच्छ गतिशीलता (clean mobility) को बढ़ावा देने के लिए और अधिक वित्तीय साधनों की आवश्यकता है।
मुख्य बिंदु
- नीति आयोग ने पर्यावरणीय दृष्टिकोण से और वित्तीय दृष्टिकोण से भी एक स्थायी और जलवायु-केंद्रित दृष्टिकोण अपनाने पर जोर दिया है।
- स्वच्छ गतिशीलता के क्षेत्र में वित्तपोषण को बढ़ावा देने के लिए, अंतर्राष्ट्रीय और घरेलू वित्तीय संस्थानों, राज्यों, ऑपरेटरों और निर्माताओं को एक ही मंच पर लाया जाना चाहिए।
- इसका उद्देश्य भारत के नागरिकों की आवश्यकताओं में संतुलन लाना होगा ताकि उत्पादकता और जीवन-यापन में सुधार हो सके। यह एक स्थायी और जलवायु-केंद्रित दृष्टिकोण के माध्यम से लॉजिस्टिक्स लागत को कम करके और स्वच्छ गतिशीलता में तेजी लाकर किया जा सकता है।
- NDC-Transport Initiative for Asia (NDC-TIA) परियोजना के तहत ‘Financing for Decarbonization of Transport’ कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला का आयोजन नीति आयोग ने विश्व संसाधन संस्थान (World Resources Institute – WRI), भारत और GIZ इंडिया के सहयोग से किया था।
ग्रीन फाइनेंसिंग कैसे मदद करेगी?
नीति आयोग ने कहा है कि ग्रीन फाइनेंसिंग से इलेक्ट्रिक वाहनों का कम ब्याज पर वित्तपोषण संभव होगा। साथ ही, भारत को परिवहन के विद्युतीकरण के उद्देश्य से एक उचित योजना की आवश्यकता है और हरित वित्त इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
ग्रीन फाइनेंसिंग क्या है?
जब वित्त के प्रवाह में निजी, सार्वजनिक, न कि लाभ क्षेत्रों जैसे सूक्ष्म-वित्त, बैंक और अन्य वित्तीय क्षेत्रों से सतत विकास की ओर वृद्धि होती है, तो इसे हरित वित्तपोषण के रूप में जाना जाता है। कोई भी वित्तीय गतिविधि जो बेहतर पर्यावरणीय परिणामों को सुनिश्चित करने के उद्देश्य से बनाई गई है तो वह हरित वित्तपोषण है।
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