कांकेर जिला, छत्तीसगढ़
कांकेर जिला छत्तीसगढ़ के दक्षिणी क्षेत्र में स्थित है। पहले कांकेर पुराने बस्तर जिले का हिस्सा था। लेकिन वर्ष 1999 में कांकेर जिला एक स्वतंत्र जिला बना। यह जिला छत्तीसगढ़ के चार जिलों बस्तर, धमतरी, दुर्ग और राजनांदगांव से घिरा हुआ है। जिले का कुल क्षेत्रफल लगभग 5285 वर्ग किलोमीटर है।
कांकेर जिले का इतिहास
कांकेर जिले का इतिहास पाषाण युग का है। ऐतिहासिक संदर्भो के अनुसार यह जिला हमेशा से एक स्वतंत्र राज्य रहा है। रामायण और महाभारत के संदर्भ में दंडकारण्य नामक एक घना वन क्षेत्र था और कांकेर राज्य दंडकारण्य का था। यह क्षेत्र चालुक्यों, नागों, वाकाटकों, गुप्तों और कंदरा वंश के अधिकार में रहा। इसके बाद, चंद्र वंश सत्ता में आया। ब्रिटिश शासन के अधीन आने से पहले कांकेर इस राजवंश के अधीन था।
कांकेर जिले का भूगोल
कांकेर जिले में छोटे पहाड़ी क्षेत्र और अनेक नदियां हैं। यहाँ पाँच मुख्य नदियाँ दूध नदी, महानदी नदी, हटकुल नदी, सिंदूर नदी और तुरु नदी हैं। जिले की जलवायु मुख्यतः मानसूनी प्रकार की है। मई सबसे गर्म महीना है और दिसंबर सबसे ठंडा महीना है। जिले की औसत वर्षा 1492 मिमी है। जून से अक्टूबर के दौरान जिले में 90 प्रतिशत वर्षा होती है। कांकेर एवं चरमा में शुष्क जलवायु तथा भानुप्रतापपुर में आर्द्र जलवायु है। जिले का एक बड़ा हिस्सा जंगलों से आच्छादित है।
कांकेर जिले की संस्कृति
कांकेर जिले की संस्कृति में स्थानीय लोगों के रंगीन त्योहार, कला और शिल्प शामिल हैं। लकड़ी के शिल्प और बांस के शिल्प इस जिले की संस्कृति की विशेषताएँ हैं। इस जिले में रहने वाले लोगों की अपनी धार्मिक मान्यताएं हैं।
कांकेर जिले की अर्थव्यवस्था
कांकेर जिला कृषि प्रधान जिला है। कांकेर जिले की अर्थव्यवस्था कृषि पर निर्भर है। यहाँ की भूमि अधिकतर वनों से आच्छादित है। किसान बारिश के मौसम से पहले पेड़ों को काटकर खेती के लिए जमीन की जुताई करते हैं।
कांकेर जिले में पर्यटन
कांकेर जिले में पर्यटन हेतु अनेक दर्शनीय हैं। दर्शनीय स्थलों में से कुछ शिवानी मंदिर, गड़िया पर्वत, मलंझकुडुम जलप्रपात और चर्रे-मारे जलप्रपात हैं।
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