नीति आयोग जारी करेगा National Gender Index

नीति आयोग एक “राष्ट्रीय लिंग सूचकांक” (National Gender Index) के विकास पर काम कर रहा है, जिसका उपयोग प्रगति को मापने और सूचित नीतिगत निर्णय लेने के लिए लैंगिक समानता में निरंतर अंतराल की पहचान करने के लिए किया जाएगा।

मुख्य बिंदु 

नीति आयोग ने अपनी नवीनतम वार्षिक रिपोर्ट 2021-2022 में उल्लेख किया है कि, राष्ट्रीय लिंग सूचकांक एक परिभाषित जेंडर मैट्रिक्स पर राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की प्रगति को मैप करने और सकारात्मक बदलाव की नींव बनाने के लिए एक उपकरण के रूप में काम करेगा। इस सूचकांक को सतत विकास लक्ष्यों के ढांचे के साथ भी जोड़ा जाएगा।

ड्राफ्ट राज्य ऊर्जा और जलवायु सूचकांक (Draft State Energy and Climate Index)

नीति आयोग ने राज्य ऊर्जा और जलवायु सूचकांक का मसौदा भी तैयार किया है। यह सूचकांक DISCOMs की व्यवहार्यता और प्रतिस्पर्धा, स्वच्छ ऊर्जा पहल; ऊर्जा की पहुंच, सामर्थ्य और विश्वसनीयता; उत्पादन क्षमता; ऊर्जा दक्षता; और पर्यावरणीय स्थिरता जैसे संकेतकों पर राज्यों के प्रदर्शन का आकलन करेगा। यह राज्यों को अपने ऊर्जा संसाधनों का कुशलतापूर्वक प्रबंधन करने और लोगों को ऊर्जा की बेहतर पहुंच प्रदान करने में भी मदद करेगा।

लैंगिक समानता (Gender Equality)

लैंगिक समानता मानवीय गरिमा और सम्मान के साथ-साथ अधिक से अधिक वैश्विक समृद्धि का मुद्दा है। दुनिया भर में अधिक समावेशी अर्थव्यवस्थाओं के निर्माण के लिए स्वास्थ्य, शिक्षा, राजनीति और आर्थिक भागीदारी में लैंगिक समानता आवश्यक है।

भारत में लैंगिक समानता (Gender Equality in India)

वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की ग्लोबल जेंडर गैप रिपोर्ट में भारत 28 पायदान नीचे 156 देशों में 140वें स्थान पर आ गया है। इस प्रकार, यह दक्षिण एशिया में तीसरा सबसे खराब प्रदर्शन करने वाला बन गया। 2020 की रिपोर्ट में इसे 153 देशों में 112वें स्थान पर रखा गया था।

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