कर्नाटक में बासव जयंती (Basava Jayanti) मनाई गई

3 मई, 2022 को प्रसिद्ध दार्शनिक बसवेश्वर (Basaveshwara) की जयंती बासव जयंती (Basava Jayanti) के रूप मनाई गई।

बासवन्ना कौन है?

कल्याणी चालुक्य/कलचुरी वंश के शासनकाल के दौरान बासवन्ना 12 वीं शताब्दी के कवि, दार्शनिक और समाज सुधारक थे।

बासव जयंती कब मनाई जाती है?

हिंदू कैलेंडर के अनुसार, बासवन्ना का जन्म वैशाख महीने के तीसरे दिन शुक्ल पक्ष में पड़ता है। यह आमतौर पर अंग्रेजी कैलेंडर के अप्रैल या मई में पड़ता है। यह मुख्य रूप से कर्नाटक, महाराष्ट्र, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश राज्यों में मनाया जाता है।

बासवन्ना ने किस संप्रदाय की स्थापना की?

बसवन्ना लिंगायतवाद के संस्थापक हैं।

लिंगायतवाद क्या है?

यह शैव धर्म पर आधारित एक हिंदू संप्रदाय है। लिंगायतवाद 11वीं-12वीं शताब्दी के रामानुज के समान दार्शनिक नींव के साथ योग्य अद्वैतवाद (विशिष्ठ अद्वैत) पर जोर देता है। लिंगायतवाद वेदों और पुराणों के अधिकार को खारिज करता है।

बासवन्ना द्वारा कौन से सामाजिक सुधार लाए गए?

  • बासवन्ना जाति व्यवस्था से मुक्त समाज में सभी के लिए समान अवसर के साथ विश्वास करते थे।
  • उन्होंने अंधविश्वासों और रीति-रिवाजों को खारिज कर दिया।
  • उन्होंने लैंगिक भेदभाव और पशु बलि की निंदा की।
  • उन्होंने 12 वीं शताब्दी सीई में अनुभव मंडप की भी स्थापना की, जिसने सभी सामाजिक आर्थिक पृष्ठभूमि के लोगों का स्वागत किया।

अनुभव मंडप क्या है?

  • अनुभव मंतपा कर्नाटक के बीदर जिले के बासवकल्याण में स्थित एक अकादमी है।
  • इस अकादमी में लिंगायत मनीषियों, संतों और दार्शनिकों को शामिल किया गया था, जो जीवन के अनुभवों और ज्ञान को एकत्रित और साझा करेंगे। इस प्रकार, यह लिंगायत संप्रदाय के बारे में सभी धार्मिक और दार्शनिक विचारों का स्रोत था।
  • अनुभव मंडप को महामाने भी कहा जाता है।
  • अनुभव मंडप वचन साहित्य का स्रोत भी था।

बसवन्ना की साहित्यिक कृतियाँ क्या हैं?

उनकी साहित्यिक कृतियों में कन्नड़ भाषा में वचन साहित्य शामिल है। वचनों के माध्यम से उन्होंने समाज में सामाजिक जागरूकता का प्रसार किया।

Categories:

Tags: , , , , ,

Advertisement

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *