मारबर्ग वायरस रोग (Marburg virus Disease) क्या है?

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार घाना में मारबर्ग वायरस रोग के दो संदिग्ध मामले सामने आए। मारबर्ग वायरस रोग इबोला के समान है।

मुख्य बिंदु 

  • प्रारंभिक विश्लेषण में घाना के दक्षिणी क्षेत्र के दो मरीजों के नमूने लिए गए। दोनों मरीजों की मौत हो गई, क्योंकि वे सकारात्मक थे।
  • इस वायरस की मौजूदगी की पुष्टि के लिए सैंपल अब सेनेगल के रिसर्च सेंटर भेजे गए हैं।
  • इन दोनों की मौत के बाद कोई नया मामला सामने नहीं आया है।

मारबर्ग वायरस रोग

मारबर्ग वायरस रोग एक संक्रामक रक्तस्रावी बुखार (infectious haemorrhagic fever) है। यह इबोला के समान परिवार से संबंधित है। यह वायरस चमगादड़ों (fruit bats) के माध्यम से लोगों में फैलता है। यदि असंक्रमित व्यक्ति संक्रमित व्यक्ति या सतहों के शारीरिक द्रव्यों के सीधे संपर्क में आता है, तो लोगों से लोगों में संचरण होता है। मारबर्ग वायरस की ऊष्मायन अवधि 2-21 दिनों की होती है। यह रोग संभावित रूप से बहुत हानिकारक और घातक है। पिछले प्रकोपों ​​​​में मृत्यु दर 24% से 88% तक थी।

रोग के पिछले प्रकोप

इससे पहले अंगोला, कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य, युगांडा, केन्या और दक्षिण अफ्रीका में मारबर्ग वायरस रोग की सूचना मिली है। सितंबर 2021 में गिनी में एक मामले की पुष्टि हुई थी।

मारबर्ग वायरस रोग के लक्षण

मारबर्ग वायरस रोग के सामान्य लक्षणों में शामिल हैं- तेज बुखार, गंभीर अस्वस्थता, गंभीर सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द इत्यादि। संक्रमण के बाद तीसरे दिन रोगी को दस्त, मतली और उल्टी, पेट में दर्द और ऐंठन जैसे लक्षण भी दिखाई दे सकती है। ये लक्षण एक हफ्ते तक बने रहते हैं।

रोग का उपचार

मारबर्ग के लिए अभी तक कोई इलाज या टीका विकसित नहीं किया गया है। मरीजों को मौखिक या अंतःस्रावी तरल पदार्थ के साथ पुनर्जलीकरण (rehydration) के माध्यम से इलाज किया जाता है।

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