आईएनएस विक्रांत (INS Vikrant)

INS विक्रांत को औपचारिक स्तर पर 15 अगस्त 2022 को शामिल हो जाएगा। किसी भी देश की नौसेना में विमानवाहक युद्धपोत सामरिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि ये लड़ाकू विमानों की दूर तक कार्य करने कि क्षमता को बहुत बढ़ा देता है। आई एन एस विक्रांत को 15 अगस्त 2022 को पूर्णता देश को समर्पित कर दिया जाएगा तथा इस दिन आजादी का अमृत महोत्सव भी मनाया जा रहा है।

वायुयान वाहक पोत या विमान वाहक जहाज़  (Aircraft carrier) एक युद्धपोत होता है जो नौसेना द्वारा लड़ाकू विमानों को ले जाने का काम करता है। इसमें अन्य सैन्य साजो सामान भी लगा होता है जिसका उपयोग युद्ध की स्थिति में किया जाता है।

भारत में एयरक्राफ्ट कैरियर का आगमन कब शुरू हुआ?

1957 में भारत ने ब्रिटेन से एक एयरक्राफ्ट कैरियर खरीदा जिसका नाम HMS हरक्यूलिस था, इसने द्वितीय विश्व युद्ध में ब्रिटेन का साथ दिया। भारत ने खरीदने के बाद इसका नाम INS विक्रांत रखा और 1961 में इसकी मरम्मत का काम पूरा हुआ।

INS विक्रांत को कुल कितने चरणों में निर्माणकिया गया है?

आई एन एस विक्रांत को तीन चरणों में बनाया गया पहला चरण 2007 में पूरा हुआ दूसरा 2014 में और तीसरा 2019 में तथा इसका चौथा समुद्री ट्रायल 10 जुलाई 2022 को पूरा हुआ। आई एन एस विक्रांत को बनाने में कुल खर्च 20000 करोड रुपए का आया है।

आईएनएस विक्रांत कितना स्वदेशी है?

INS विक्रांत को बनाने में जो equipment और मटेरियल लगा है वह 76% स्वदेशी है तथा तथा INS विक्रांत एक उन्नत उदाहरण है आत्मनिर्भर भारत का साथ ही साथ मेक इन इंडिया को आगे बढ़ावा देने का।

INS Vikrant का निर्माण किसने किया?

कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड द्वारा INS विक्रांत का निर्माण किया गया जो कि भारत सरकार का एक उपक्रम है तथा यह मिनिस्ट्री ऑफ शिपिंग के अंदर आता है।

IAC-1 Vikrant क्या है?

INS विक्रांत को IAC-1 भी कहा जाता है जिसका मतलब होता है Indegeneous aircraft carrier–1 तथा भारतीय नौसेना के Directorate of Navel design ने इसका निर्माण किया है। पूरी दुनिया में केवल पांच-छह देशों ही सक्षम है इस तरह का एयरक्राफ्ट कैरियर बनाने के लिए।

आई एन एस विक्रांत की खास बातें क्या है?

दोस्तों ये बहुत चौंकाने वाला तथ्य हौ कि इसके निर्माण में 23000 क्विंटल स्टील का इस्तेमाल किया गया है, दो हजार 500 किलोमीटर लंबी बिजली के तारों का इसमें इस्तेमाल किया गया है, 150 किलोमीटर लंबी पाइप लाइन बिछे है तथा इसमें दो हजार valve  फिट किए गए हैं। आई एन एस विक्रांत का वजन 45000 टन है, इसकी कुल लंबाई 262 मीटर है, चौड़ाई 60 मीटर है तथा इसका डिस्प्लेसमेंट 75 सौ टन है। इसको ताकत देने के लिए चार गैस टरबाइन लगे हैं जो 88 MW power का निर्माण करते हैं।  INS विक्रांत 18 knots की गति पर 7हज़ार 500 नॉटिकल माइल्स की रेंज देता है, तथा इसकी अधिकतम स्पीड 28 knots है। [एक knot=0.54 किलोमीटर per hour के ]।  इसमें 160 ऑफिसर और 1400 sailors रेहता है जो अपना कार्य कुशलता पूर्वक करते हैं। इसमे captain से लेकर सफाई करामचरि तक रेहता हैं। दोस्तों यह एक प्रकार का पूरा चलता -फिरता शहर ही है जो देश की सीमाओ की रक्षा दिन रात कर्ता है।

भारत को पहला aircraft carrier कब मिला?

1961 में भारतीय नौसेना में भारत का पहला एयरक्राफ्ट कैरियर आईएनएस विक्रांत शामिल किया गया था जिसने 1971 की लड़ाई में अपनी क्षमता का लोहा पूरी दुनिया में मनवाया था। इसे 1997 में डिकमिशन कर दिया गया था। उसी नाम से स्वदेशी आई एन एस विक्रांत को अब लॉन्च किया गया है।

आईएनएस Vikrant की क्षमता कितनी है?

INS विक्रांत STOBAR एयरक्राफ्ट कैरियर है। जो अपने साथ 30 fighter jets और हेलीकॉप्टर जिसमें mig29k जेंट्स, Kamov 31 हेलीकॉप्टर्स,  mk54 torpedoes, precise kill rockets, 24 सबमरीन हंटिंग mh-60 Romeo हेलीकॉप्टर्स जिनमें hell-fire मिसाइल लगी हुई है। STOBAR एक ऐसा सिस्टम है जिसे एयरक्राफ्ट को launch और recover  करने के लिए aircraft carrier के deck पर इस्तेमाल किया जाता है STOBAR का मतलब होता है Short Takeoff but Arrested Launching, इसमें वर्टिकल लैंडिंग की सुविधा भी है।

तो कुल मिलाकर भारत ने पूरी दुनिया को अपनी योग्यताओं और क्षम्तओ का एक और practical उदाहरण INS  Vikrant के रूप में दे दीया है। इससे न केवल atma nirbhar bharat को गति मिलेगे बल्कि, भारत का विदेशी मुद्रा भंडार भी संतुलित रहेगा जो की देश की अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा है।

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