भारत ने 2023 तक काला अजार (Kala Azar) को खत्म करने का लक्ष्य रखा
भारत सरकार ने 2023 तक देश से काला अजार को खत्म करने का लक्ष्य रखा है। डॉ. भारती प्रवीण पवार (स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्य मंत्री) के अनुसार, 633 कालाजार स्थानिक ब्लॉकों में से 625 ब्लॉकों ने 2021 में काला-अजार सफलतापूर्वक समाप्त कर दिया है। भारत का लक्ष्य विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के 2030 तक इस बीमारी को खत्म करने के लक्ष्य से काफी आगे है।
काला अजार (Kala Azar)
काला अजार को लीशमैनियासिस (Leishmaniasis) भी कहा जाता है। यह एक उपेक्षित उष्णकटिबंधीय रोग (neglected tropical disease) है, जिससे भारत सहित 100 से अधिक देश प्रभावित हैं। उपेक्षित उष्णकटिबंधीय रोग कई संचारी रोगों का एक समूह है जो 149 देशों की उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय स्थितियों में प्रचलित हैं। यह रोग लीशमैनिया (Leishmania) नामक परजीवी के कारण होता है।
तीन प्रकार के काला अजार:
- विसरल लीशमैनियासिस : यह कई अंगों को प्रभावित करता है और इसे रोग का सबसे गंभीर रूप माना जाता है। इसे आमतौर पर भारत में काला अजार कहा जाता है।
- त्वचीय लीशमैनियासिस : यह त्वचा को प्रभावित करने वाला सबसे आम प्रकार है।
- म्यूकोक्यूटेनियस लीशमैनियासिस : यह त्वचा और म्यूकोसल घावों का कारण बनता है।
काला अजार का उपचार
काला अजार के इलाज के लिए इस्तेमाल की जाने वाली एकमात्र दवा मिल्टेफोसिन (miltefosine) है। हालांकि, इस दवा के परजीवी के प्रतिरोध के कारण, यह दवा तेजी से अपनी प्रभावशीलता खो रही है।
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