पारंपरिक ज्ञान डिजिटल लाइब्रेरी (TKDL) डेटाबेस के विस्तार को मंज़ूरी दी गई
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने हाल ही में “पेटेंट कार्यालयों के अलावा, उपयोगकर्ताओं के लिए पारंपरिक ज्ञान डिजिटल लाइब्रेरी डेटाबेस की व्यापक पहुंच” को मंजूरी दी है। यूजर्स के लिए पारंपरिक ज्ञान डिजिटल डेटाबेस का विस्तार करना सरकार का एक महत्वाकांक्षी कदम है।
मुख्य बिंदु
- पारंपरिक ज्ञान डिजिटल लाइब्रेरी (Traditional Knowledge Digital Library) के विस्तार से विविध क्षेत्रों में भारत की मूल्यवान विरासत के आधार पर अनुसंधान और विकास और नवाचार को बढ़ावा मिलेगा।
- यह नई शिक्षा नीति 2020 के तहत भारतीय ज्ञान परम्परा के माध्यम से विचार और ज्ञान को भी बढ़ावा देगी।
- यह अनुमोदन नवाचार और व्यापार को बढ़ाने के लिए पारंपरिक ज्ञान को मौजूदा प्रथाओं के साथ एकीकृत और सह-चयन करने पर केंद्रित है।
- यह डेटाबेस ज्ञान और प्रौद्योगिकी की सीमाओं को आगे बढ़ाने के लिए पारंपरिक ज्ञान सूचना के एक महत्वपूर्ण स्रोत के रूप में कार्य करेगा।
- इस डेटाबेस को पेड सब्सक्रिप्शन मॉडल के माध्यम से एक्सेस किया जा सकता है, जिसे चरणबद्ध तरीके से राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय उपयोगकर्ताओं के लिए खोला जाएगा।
पारंपरिक ज्ञान डिजिटल लाइब्रेरी (Traditional Knowledge Digital Library)
पारंपरिक ज्ञान डिजिटल लाइब्रेरी की स्थापना 2001 में हुई थी। यह भारतीय पारंपरिक ज्ञान का एक कला डेटाबेस है। यह वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR) और भारतीय चिकित्सा प्रणाली और होम्योपैथी विभाग (जिसे अब आयुष मंत्रालय कहा जाता है) द्वारा स्थापित किया गया था। इस पुस्तकालय में आयुर्वेद, यूनानी, सिद्ध, सोवा रिग्पा और योग जैसे मौजूदा साहित्य के बारे में जानकारी शामिल है। जानकारी पांच अंतरराष्ट्रीय भाषाओं जैसे अंग्रेजी, फ्रेंच, जर्मन, स्पेनिश और जापानी में डिजीटल प्रारूप में उपलब्ध है। अब तक, इस डेटाबेस तक पहुंच अनुसंधान और परीक्षा आयोजित करने के लिए दुनिया भर के 14 पेटेंट कार्यालयों तक सीमित थी। अब इसे और अधिक यूजर्स के लिए बढ़ा दिया गया है।
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