महिला, व्यापार और कानून सूचकांक जारी किया गया

विश्व बैंक द्वारा हाल ही में जारी महिला, व्यापार और कानून सूचकांक (Women, Business and the Law Index) के अनुसार, हालांकि अधिकांश देशों ने लैंगिक समानता सुनिश्चित करने के लिए कानून लागू किए हैं, फिर भी कानूनी अधिकारों और प्रावधानों के मामले में पुरुषों और महिलाओं के बीच एक महत्वपूर्ण अंतर है। इस रिपोर्ट से पता चला कि लैंगिक समानता (gender equality) की दिशा में सुधार की वैश्विक गति 20 साल के निचले स्तर पर आ गई है।

महिला, व्यापार और कानून सूचकांक क्या है?

महिला, व्यवसाय और कानून सूचकांक 190 देशों में महिलाओं से संबंधित कानूनों और विनियमों का मूल्यांकन करता है। इस मूल्यांकन में महिलाओं की आर्थिक भागीदारी से संबंधित 8 क्षेत्र शामिल हैं। ये गतिशीलता, कार्यस्थल, वेतन, विवाह, पितृत्व, उद्यमिता, संपत्ति और पेंशन हैं।

मुख्य निष्कर्ष

भारत ने कुल संभावित 100 में से 74.4 स्कोर किया। दुर्भाग्य से, भारत का स्कोर घाना, जिम्बाब्वे, नेपाल और कांगो जैसे अन्य देशों की तुलना में कम था। जबकि यह दक्षिण एशियाई क्षेत्र के औसत 63.7 से अधिक है, यह नेपाल के 80.6 से कम है। इस सूचकांक ने कुल 190 अर्थव्यवस्थाओं को कवर किया। इनमें से केवल 14 ने 100 अंक प्राप्त किए। वे स्वीडन, स्पेन, लक्समबर्ग, लातविया, कनाडा, बेल्जियम, फ्रांस, डेनमार्क, जर्मनी, आइसलैंड, ग्रीस, आयरलैंड, नीदरलैंड, पुर्तगाल आदि थे। 

उच्चतम वृद्धि

MENA देशों में अच्छी वृद्धि देखी गई। MENA देश मध्य पूर्व और उत्तरी अफ्रीकी देश (Middle East and North African countries) हैं। 

महिलाओं की वर्तमान स्थिति पर रिपोर्ट

दुनिया में केवल 77% महिलाओं को कानूनी अधिकार प्राप्त हैं। दुनिया में लगभग 2.4 बिलियन महिलाएं उन देशों में रह रही हैं जो पुरुषों के समान कानूनी अधिकार प्रदान नहीं करते हैं।

भारत पर रिपोर्ट

रिपोर्ट के मुताबिक वेतन, विरासत और संपत्ति के अधिकारों के कानूनों के कारण भारत लैंगिक समानता के मामले में पिछड़ रहा है। भारत का स्कोर दक्षिण एशियाई क्षेत्र के औसत से अधिक था, जो कि 63.7 था। भारत का स्कोर नेपाल से कम था जिसने 80.6 स्कोर किया था।

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