पर्यावरण मंत्रालय ने गौला नदी खनन को मंज़ूरी दी

पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने उत्तराखंड सरकार को नैनीताल जिले की गौला नदी (Gaula River) में खनन गतिविधियां जारी रखने की अनुमति दे दी है। इस विस्तार से 30 जून तक खनन कार्य करने की अनुमति मिली है। इस निर्णय से राज्य की अर्थव्यवस्था और स्थानीय समुदायों के लिए महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ने की उम्मीद है।

राज्य की आय और रोजगार के अवसरों को बढ़ावा

गौला नदी में खनन कार्य जारी रखने की स्वीकृति के साथ, उत्तराखंड सरकार को 50 करोड़ रुपये तक के लाभ की उम्मीद है। यह अतिरिक्त राजस्व राज्य की आय में योगदान देगा, जिससे बहुत आवश्यक आर्थिक प्रोत्साहन मिलेगा। इसके अलावा, विस्तारित अनुमति से स्थानीय आबादी के लिए रोजगार के अवसर पैदा होने की भी उम्मीद है। इससे व्यक्तियों की आजीविका पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा और क्षेत्र में आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करने में मदद मिलेगी।

किफ़ायती निर्माण सामग्री तक पहुंच

आर्थिक लाभ के अलावा, गौला नदी में खनन गतिविधियों के विस्तार से कम लागत पर निर्माण सामग्री की उपलब्धता सुनिश्चित होगी। खनन संचालन निर्माण परियोजनाओं के लिए आवश्यक आवश्यक संसाधनों तक पहुंच प्रदान करेगा, जो क्षेत्र के विकास और बुनियादी ढांचे के विकास में योगदान देगा। इससे न केवल सरकार को लाभ होगा बल्कि निर्माण सामग्री को अधिक किफायती और सुलभ बनाकर समुदाय को भी लाभ होगा।

गौला नदी: उत्पत्ति और महत्व

गौला नदी, जिसे गोला नदी के रूप में भी जाना जाता है, उत्तराखंड के पहाड़पानी गाँव से निकलती है और काठगोदाम, हल्द्वानी, किच्छा और शाही सहित विभिन्न क्षेत्रों से होकर बहती है। यह लगभग 500 किलोमीटर तक फैली है, जो इसे हल्द्वानी और काठगोदाम के लिए एक महत्वपूर्ण जल स्रोत बनाता है। इस नदी को कुछ वर्गों में किच्छा और बेगुल भी कहा जाता है। अंततः, गौला नदी उत्तर प्रदेश में रामगंगा नदी में मिलती है, जो गंगा की एक सहायक नदी है।

Categories:

Tags: ,

Advertisement

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *