भारत में उपग्रह आधारित टोल संग्रह प्रणाली का इस्तेमाल किया जाएगा
हाल ही में, केंद्रीय सड़क, परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने देश के राजमार्गों के लिए उपग्रह-आधारित टोल संग्रह प्रणाली शुरू करने की योजना की घोषणा की। इस अभिनव प्रणाली का उद्देश्य वाहनों द्वारा तय की गई दूरी के आधार पर टोल वसूलना है, जो सीधे उपयोगकर्ताओं के बैंक खातों से राशि काट लेगा। इस कदम से टोल टैक्स में कमी आने, यात्रा को आसान बनाने और भारत के राजमार्ग बुनियादी ढांचे की समग्र दक्षता में सुधार होने की उम्मीद है।
प्रस्तावित प्रणाली वैश्विक नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम का उपयोग करेगी, जिसमें भारत का अपना GAGAN (GPS Aided GEO Augmented Navigation) सैटेलाइट नेविगेशन सिस्टम शामिल है, जिसकी सटीकता लगभग 10 मीटर है। सटीक मैपिंग और टोल गणना की सुविधा के लिए वाहनों में एक ऑन-बोर्ड यूनिट (OBU) लगाई जाएगी।
यह प्रणाली देश के राष्ट्रीय राजमार्गों की सम्पूर्ण लम्बाई के निर्देशांकों को दर्ज करने, टोल दरें निर्धारित करने, तथा प्रत्येक वाहन द्वारा तय की गई दूरी के आधार पर टोल राशि की गणना करने के लिए डिजिटल इमेज प्रोसेसिंग और सॉफ्टवेयर एल्गोरिदम का उपयोग करेगी।
चुनौतियां
उपग्रह आधारित टोल संग्रहण प्रणाली के कार्यान्वयन में कई चुनौतियाँ हैं:
- भुगतान न करने या सिस्टम में हेराफेरी के मामले में टोल वसूली
- स्वचालित नंबर-प्लेट पहचान (ANPR) प्रणाली के राष्ट्रव्यापी कार्यान्वयन की आवश्यकता
- डेटा सुरक्षा और गोपनीयता सुनिश्चित करना
- सीसीटीवी कैमरों से सुसज्जित गैन्ट्री के उपयोग के माध्यम से अनुपालन लागू करना
फास्टैग के साथ एकीकरण
16 फरवरी, 2021 को सरकार द्वारा अनिवार्य किए गए रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन-आधारित टोल संग्रह प्रणाली, फास्टैग, नए उपग्रह-आधारित सिस्टम के साथ-साथ काम करना जारी रखेगी। उम्मीद है कि OBUs फास्टैग को बदलने के बजाय उनका पूरक बनेंगे, जिससे परिचालन लागत कम होगी और दक्षता बढ़ेगी।
Categories: राष्ट्रीय करेंट अफेयर्स