लॉर्ड डलहौजी

लॉर्ड डलहौजी का पूरा नाम जेम्स एंड्रू रामजे था। वो 1848 से 1856 तक भारत का गवर्नर जनरल रहा। उसके काल में दूसरा एंग्लो-सिख युद्ध लड़ा गया, पहली भारतीय ट्रेन चलाई गई। इसके अलावा कलकत्ता और आगरा को टेलीग्राफ से जोड़ा गया। उसके काल में 1848-49 में द्वितीय सिख युद्ध लड़ा गया जिसमें सिखों की हार हुई। पूरे पंजाब को ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के साम्राज्य में मिला लिया गया। 29 मार्च 1849 को पूरा पंजाब अधिकार में ले लिया गया। रानी जींद कौर को कैद कर दिया गाय, 11 वर्षीय महाराज दिलीप सिंह को लंदन में पेंसन पर भेजा गया। पहले एंग्लो-बर्मा युद्ध के बाद यंदबू की संधि 24 फरवरी 1826 को हुई। अंग्रेज़ व्यापारियों ने बर्मा में उनके साथ दुर्व्यवहार की शिकायत की। इस अवसर का फायदा उठाकर डलहौजी ने द्वितीय एंग्लो-बर्मा युद्ध, 1852-53 शुरू किया जिसमें ईस्ट इंडिया कंपनी की विजय हुई और बर्मा के कई हिस्सों को कंपनी साम्राज्य में मिला लिया गया।

डलहौजी की राज्य हड़प नीति
डलहौजी ने राज्य हड़पने की नीति अपनाई जिसके कारण भारत के कई प्रदेशों को ईस्ट इंडिया कंपनी के अधिकार में मिला लिया गया। कालांतर में यही नीति प्रथम स्वतन्त्रता संग्राम का एक कारण बनी। उसने 1848 में सतारा पर अधिकार कर लिया। 1848 में सतारा का राजा बिना किसी संतान के मर गया लेकिन मरने से पहले उसने एक बच्चा गोद लिया। गोद लेना डलहौजी ने अवैध करार दिया था, जिस कारण ईस्ट इंडिया कंपनी ने सतारा पर अधिकार कर लिया। नागपुर का राजा 1853 में बिना संतान के मर गए लेकिन मरने से पहले उन्होने अपनी रानी को एक पुत्र को गोद लेने का निर्देश दिया। रानी ने यशवंत राव को गोद लिया लेकिन डलहौजी ने नागपूर पर अधिकार कर लिया। झांसी के राजा गंगाधर राव की मृत्यु हो गयी जिसके बाद रानी लक्ष्मी बाई ने एक लड़का दामोदर राव को गोद लिया लेकिन डलहौजी ने झांसी पर अधिकार किया। हालांकि 1857 में रानी लक्ष्मीबाई के बलिदान तक झांसी एक स्वतंत्र राज्य रहा। सम्बलपुर के राजा ने कोई बच्चा गोद नहीं लिया और मृत्यु से पहले उसने अपने राज्य के ब्रिटिश सरकार में मिलाने की घोषणा की।1849 में उसने जैतपुर पर अधिकार कर ल्लिया क्योंकि वहाँ के राजा का कोई पुत्र नहीं था।
भगत पंजाब में एक पहाड़ी राज्य था। डलहौजी ने 1850 में उसे अपने अधिकार में ले लिया। 1852 में डलहौजी ने उदयपुर पर अधिकार कर लिया क्योंकि वहाँ के राजा का कोई पुत्र नही था। कोर्ट ऑफ डाइरेक्टर्स ने उसकी राज्य हड़प नीति की आलोचना की और बाद में लॉर्ड केनिंग ने भगत और उदयपुर के राजा को वापस राजा बना दिया। उसका राज्य हड़प का सिध्दांत केवल साम्राज्य विस्तार के लिए था। उसने 1856 में अवध पर बेकार प्रशासन का आरोप लगाकर अधिकार कर लिया और वहाँ के नवाब को हटा दिया गया।

हालांकि उसने कई अच्छे कार्य भी किए। उसने भारत में रेलवे और टेलीग्राफ की शुरुआत की। 16 अप्रैल 1853 को बंबई से ठाणे के बीच 35 किमी मार्ग पर भारत की पहली रेलगाड़ी चलाई गयी। 1854 में उसने कलकत्ता से आगरा तक 800 मील का टेलेग्राफ शुरू किया गया। उसने भारत की ग्रीष्मकालीन राजधानी शिमला को बनाया। उसने तोपखाने का मुख्यालय कलकत्ता से बदलकर मेरठ में किया। सेना मुख्यालय शिमला में बनाया। उसके काल में वुड का घोषणा पत्र जारी हुआ जिसे भारत में अँग्रेजी शिक्षा का मैग्नाकार्टा कहा जाता है। वुड के घोषणा पत्र के तहत हर प्रोविन्स में एक शैक्षणिक विभाग खोला गया, हर जिले में एक सरकारी स्कूल खोला जाएगा, इसके अलावा कई विश्वविद्यालय की स्थापना की भी घोषणा की गयी।

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1 Comment on “लॉर्ड डलहौजी”

  1. Ishwar chander says:

    So nice and good general knowledge

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