मुगल वंश की स्थापना

मुग़ल वंश भारत में सबसे प्रभावशाली मुस्लिम राजवंशों में से एक था। मुग़ल वंश की स्थापना फरगना के शासक बाबर ने 1526 ईसवी में की थी। मुग़ल साम्राज्य विशाल क्षेत्र पर फैला हुआ था, अपने उत्कर्ष के समय यह समस्त दक्षिण एशिया में फैला हुआ था। इसमें अफ़ग़ानिस्तान तक के हिस्से शामिल थे। क्षेत्रफल की दृष्टि से मौर्य साम्राज्य के बाद यह भारत के इतिहास का दूसरा सबसे बड़ा साम्राज्य था।
बाबर (1526-30 ईसवी)
ज़हीरुद्दीन बाबर मुग़ल वंश का पहला शासक था, उसने 1526 ईसवी में मुग़ल वंश की स्थापना की थी। बाबर ने 1526 ईसवी में पानीपत की पहली लड़ाई में दिल्ली सल्तनत के अंतिम शासक इब्राहीम लोदी को हराया था। बाबर का जन्म फरवरी 1483 में फरगना में हुआ था। वह पितृपक्ष से चंगेज़ खान और मातृ पक्ष से तैमूर लंग से सम्बंधित था। बाबर ने 1494 ईसवी में फरगना का शासन संभाला। उसने अपने शासनकाल के दौरान कई युद्धों में भाग लिया। 1504 ईसवी में बाबर ने काबुल पर विजय प्राप्त की। तत्पश्चात उसने अफ़ग़ानिस्तान के बड़े भू-भाग पर अपना आधिपत्य स्थापित किया।
सोलहवीं शताब्दी में भारत में राजनीतिक स्थिरता का माहौल था। यहाँ पर बड़े व प्रभावशाली शासक का अभाव था। इस दौरान पंजाब के गवर्नर दौलत खान के पुत्र दिलावर खान ने बाबर को भारत पर आक्रमण करने के लिए आमंत्रण दिया। 1518-19 ईसवी में बाबर ने भारत की ओर रुख किया। भारत में अपने विजय अभियान के दौरान बाबर ने तोप व बन्दूक जैसे हथियारों का उपयोग किया।
बाबर ने भारत पर कुल पांच आक्रमण किये। पानीपत के युद्ध में बाबर की निर्णायक विजय हुई। मुग़ल सेना ने 21 अप्रैल, 1526 को पानीपत युद्ध को जीता। पानीपत के युद्ध में इब्राहीम लोदी की मृत्यु हुई थी। उसके साथ-साथ इस युद्ध में ग्वालियर के राजा विक्रमजीत की भी मृत्यु हो गयी, राजा विक्रमजीत इब्राहीम लोदी की ओर से युद्ध में भाग ले रहा था।
पानीपत के पहले युद्ध में विजय प्राप्त करने के बाद बाबर ने खानवा युद्ध में हिस्सा लिया। खानवा युद्ध 17 मार्च, 1527 ईवी को फतेहपुर सिकरी के निकट लड़ा गया था। इस युद्ध में बाबर का सामना राणा सांगा से हुआ। बाबर ने इस युद्ध को जिहाद घोषित किया था। राणा सांगा के प्रमुख साथी इस प्रकार थे – समस्त राजपूत राजा, महमूद लोदी, मेदिनी राय, हसन खां मेवाती, आलम खां लोदी इत्यादि।
खानवा के युद्ध में राणा सांगा की पराजय हुई। बाबर ने युद्ध में विजय के बाद गाजी की उपाधि धारण की थी। तत्पश्चात बाबर ने आगे बढ़ते हुए चंदेरी के शासक मेदिनी राय के साथ युद्ध किया। बाबर ने चंदेरी के युद्ध को भी जिहाद घोषित किया था। चंदेरी का युद्ध 1528 ईसवी में लड़ा गया था। इस युद्ध में बाबर विजयी रहा और उसने मेदिनी राय की हत्या कर दी।
चंदेरी युद्ध में विजय प्राप्त करने के बाद बाबर ने वर्ष 1529 ईसवी में अफगानों को घाघरा के युद्ध में परास्त किया था। यह युद्ध जल व थल दोनों पर लड़ा गया था। घाघरा के युद्ध में अफगानों का नेतृत्व महमूद लोदी ने किया था। इस युद्ध में बंगाल के शासक नुसरतशाह ने अफगानों की सहायता की थी। यह बाबर का अंतिम युद्ध था। इस युद्ध में वह विजयी रहा।
भारत में बाबर की सफलता के कारण
बाबर ने भारत में केवल चार वर्षों के भीतर अनेकों युद्ध लड़े व उनमे विजय प्राप्त की। बाबर ने बहुत कम समय में बड़े भू-भाग पर अपना अधिपत्य स्थापित कर लिया था। भारत में उसकी विजय में उसकी कूटनीति का बहुत बड़ा योगदान था। उसने इब्राहीम लोदी के सरदारों में फूट डाली। इससे इब्राहीम लोदी की शक्ति क्षीण हुई और युद्ध में उसे काफी हानि हुई। भारत में बाबर की सफलता के प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं :-
बाबर का कुशल नेतृत्व
कूटिनीति का उपयोग
युद्ध में तोप व बन्दूक जैसे अत्याधुनिक हथियारों का उपयोग
युद्ध कला में महारत
कुशल सेना
बाबर ने सीमित समय में भारत के बड़े भू-भाग पर अपना आधिपत्य स्थापित किया। 26 दिसम्बर, 1530 ईसवी को बाबर की मृत्यु हुई। आरम्भ में उसे आगरा में आरामबाग में दफनाया गया था। परन्तु बाद में उसकी अस्थियों को काबुल में दफनाया गया।

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1 Comment on “मुगल वंश की स्थापना”

  1. MONU KUMAR says:

    HII

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