बहमनी साम्राज्य

हसन गंगू (1347-58 ईसवी)
हसन गंगू ने वर्ष 1347 में अबू मुज़फ्फर अलाउद्दीन हसन बहमन शाह की उपाधि धारण की थी, इसने बहमन साम्राज्य की स्थापना की थी। हसन गंगू की राजधानी गुलबर्गा (हसनाबाद) में स्थित थी। इसने 1350 ईसवी में वारंगल के विरुद्ध सैन्य अभियान चलाया था। इसने अपने शासनकाल में विजयनगर से कई युद्ध लड़े।
मोहम्मद शाह प्रथम
हसन गंगू के बाद उसका पुत्र मोहम्मद शाह प्रथम बहमनी साम्राज्य का शासक बना। इसने भी विजयनगर और वारंगल के साथ कई युद्ध किये। इसने युद्ध में पहली बार आग्नेय अस्त्रों का उपयोग किया था। इसने प्रशासनिक कुशलता के लिए अपने साम्राज्य का विभाजन किया था। इसमें बहमनी साम्राज्य को गुलबर्गा, दौलताबाद, बीदर और बरार में विभाजित किया था।
ताजुद्दीन फिरोजशाह (1397-1422 ईसवी)
ताजुद्दीन फिरोजशाह ने अपने शासनकाल में हिन्दुओं को भी प्रमुखता दी। ताजुद्दीन फिरोजशाह ने भीमा नदी के तट पर फिरोजाबाद नगर की स्थापना की थी। इसने दौलताबाद में वेधशाला का निर्माण करवाया था।
शिहाबुद्दीन अहमद (1422-36 ईसवी)
इसने अपने शासनकाल में कला व संस्कृति को प्रधानता दी। इसने ईरान से कारीगरों को अपने साम्राज्य में आमंत्रित किया था। इसने अपनी राजधानी को गुलबर्गा से बीदर स्थानांतरित किया था। शिहाबुद्दीन अहमद के शासनकाल में शिया और सुन्नी मुस्लिम समुदायों में काफी तनाव था। शिहाबुद्दीन और उसकी पत्नी का मकबरा बीदर में स्थित है। इसने अपने शासनकाल में विजयनगर, वारंगल, मालवा इत्यादि राज्यों से युद्ध लड़े।
अलाउद्दीन अहमद द्वितीय (1436-58 ईसवी)
अलाउद्दीन अहमद द्वितीय काफी महत्वकांक्षी शासक था। इसने अपने शासनकाल में ओडिशा के गजपति शासकों से कई युद्ध किये। इसके शासनकाल में शिया अधिक प्रभावशाली बने।
अलाउद्दीन हुमायूँ (1458-61 ईसवी)
अलाउद्दीन हुमायूँ को दक्कन का नीरो कहा जाता है। यह अत्यंत क्रूर शासक था। इसने प्रशासनिक परिषद् की स्थापना की थी।
शमसुद्दीन मोहम्मद तृतीय (1463-82 ईसवी)
शमसुद्दीन मोहम्मद तृतीय बहमनी साम्राज्य का अंतिम महत्वपूर्ण शासक था। इसके शासनकाल में निकितिन नामक रूसी यात्री बहमनी साम्राज्य में आया था।
मोहम्मद तृतीय
मोहम्मद तृतीय के शासनकाल के बाद बहमनी साम्राज्य का तीव्रता से पतन हुआ। मोहम्मद तृतीय ने अपने प्रधानमंत्री महमूद गवां को मृत्युदंड दिया था।
बहमनी सल्तनत के बाद के राज्य
बहमनी सल्तनत का अंतिम शासक कलीमुल्लाह था, उसने 1526 से लेकर 1538 ईसवी तक शासन किया। उसके कार्यकाल में बहमनी साम्राज्य पांच राज्यों बरार, बीजापुर, अहमदनगर, गोलकुंडा और बीदर में विभाजित हो गया था।
बरार
बहमनी साम्राज्य से सबसे पहले बरार स्वतंत्र हुआ था। बरार की स्थापना फतहउल्ला इमाद शाह ने की थी। स्वतंत्र बरार राज्य पर सर्वप्रथम इमादशाही वंश ने शासन किया। वर्ष 1574 ईसवी में बरार, अहमदनगर में विलय हो गया।
बीजापुर
युसूफ आदिलशाह ने 1489 ईसवी में बीजापुर की स्थापना की थी। स्वतंत्र बीजापुर पर सर्वप्रथम आदिलशाही वंश की स्थापना की। आदिलशाह वंश शिया समुदाय का राजवंश था। आदिलशाह का महत्वपूर्ण शासक इब्राहीम आदिलशाह था, उसने 1534 से लेकर 1558 ईसवी तक शासन किया। इब्राहीम आदिलशाह ने दक्कनी उर्दू को राजभाषा बनाया। इसके अतिरिक्त उसने हिन्दुओं को भी प्रशासन में कार्य करने के अवसर प्रदान किया। उसके अतिरिक्त इब्राहीम आदिलशाह द्वितीय भी उदार शासक था। इब्राहीम आदिल शाह द्वितीय ने 1580 से लेकर 1627 ईसवी तक शासन किया।
आदिलशाही वंश ने 1489 से लेकर 1686 ईसवी तक बीजापुर सल्तनत पर शासन किया। मुग़ल शासक औरंगजेब ने बीजापुर पर विजय प्राप्त की थी, इसके परिणामस्वरुप 12 सितम्बर, 1686 ईसवी को बीजापुर सल्तनत को मुग़ल साम्राज्य में मिला दिया गया।
अहमदनगर
अहमदनगर सल्तनत उत्तर-पश्चिमी दक्कन में स्थित थी, यह गुजरात और बीजापुर सल्तनत के बीच में स्थित थी। अहमदनगर सल्तनत की स्थापना 1490 ईसवी में मलिक अहमद ने की थी। अहमदनगर पर सर्वप्रथम निजामशाही वंश ने शासन किया। वर्ष 1494 में अहमदनगर को नयी राजधानी बनाया गया। वर्ष 1636 ईसवी में शाहजहाँ के शासनकाल में दक्कन पर मुगलों ने विजय प्राप्त की। इसके साथ ही 1636 ईसवी में अहमदनगर सल्तनत को मुग़ल साम्राज्य में मिला दिया गया।
गोलकुंडा
गोलकुंडा सल्तनत की स्थापना कुलीशाह ने 1512 ईसवी में की थी। गोलकुंडा सल्तनत पर सर्वप्रथम क़ुतुबशाही राजवंश ने शासन किया। गोलकुंडा के अक्सर आदिलशाही तथा निजामशाही से सघर्ष होते रहते थे। इब्राहीम ने सर्वप्रथम क़ुतुबशाह की उपाधि धारण की थी, उसने गोलकुंडा सल्तनत पर 1550 से 1580 ईसवी तक शासन किया। उसके बाद 1580 से लेकर 1612 ईसवी तक मोहम्मद कुली ने शासन किया। मोहम्मद कुली ने अपने शासनकाल में कई महत्वपूर्ण कार्य किये। मोहम्मद कुली ने हैदराबाद शहर की स्थापना की थी। इसके अतिरिक्त उसने प्रसिद्ध चार मीनार का निर्माण करवाया था।
मोहम्मद कुली को दक्कनी उर्दू जा जन्मदाता कहा जाता है। वह दक्कनी उर्दू का प्रसिद्ध विद्वान था।मोहम्मद कुली ने सबसे पहले दक्कनी उर्दू में काव्य संग्रह की रचना की थी। वर्ष 1687 में मुग़ल शासक औरंगजेब ने गोलकुंडा का विलय मुग़ल साम्राज्य में करवा दिया था।
बीदर
बीदर सल्तनत की स्थापना 1492 ईसवी में कासिम बारिद ने की थी। वह तुर्क दास था। वह बहमनी सल्तनत में प्रधानमंत्री था। वर्ष 1542 में कासिम बारिद का पुत्र अली बारिद शासक बना। अली बारिद ने शाह की उपाधि धारण की थी। अली बारिद ने विजयनगर साम्राज्य के विरुद्ध तालीकोटा युद्ध में दक्कन के अन्य सुल्तानों का साथ दिया था। वर्ष 1619 ईसवी में बीजापुर ने बीदर पर आधिपत्य स्थापित किया।

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