थिरुक्कमपराबनुर मंदिर, तमिलनाडु

यह मंदिर विष्णु और उनकी पत्नी लक्ष्मी, ब्रह्मा और सरस्वती, शिव और पार्वती को पुष्ट करता है। इस मंदिर को नेपाक्षेत्रम या आदिमपुरम भी कहा जाता है। यह माना जाता है कि तिरुमंगियालवार यहां रहते थे, श्रीरंगम मंदिर के जीर्णोद्धार की देखरेख करते थे। देवता: त्रिमूर्ति को समर्पित मंदिर हैं – शिव और उनका संघ वादीवुदमन, ब्रह्मा और उनकी पत्नी सरस्वती, विष्णु और उनकी पत्नी (पुरुषोत्तमन और पूर्णवल्ली)। शिव की पूजा भिक्षातनार के रूप में की जाती है।

ब्रह्मा को गुरु के रूप में माना जाता है – शिक्षक, और इसलिए गुरुवार को पूजा की पेशकश की। एक अन्य किंवदंती में कहा गया है कि विष्णु ने एक कदंब वृक्ष का रूप धारण किया, जहां ब्रह्मा ने अपने कमंडल से पूजा और जल अर्पित किया था। कदंब मुनि ने भी भष्म द्वारा कदंब अष्टम के तट पर विष्णु की पूजा की।

मंदिर: शिव का मंदिर विष्णु के मंदिर के दक्षिण में स्थित है, और पश्चिम की ओर है। दशरथ लिंगम और सौंदरा पार्वती को समर्पित एक मंदिर है। अंडाल, वरदराजपेरुमाल, वेणुगोपालन, रामा, विनायककर, नटराजार, सुब्रमण्यर, संस्वरन और अंजनेयार के मंदिर हैं। शिव के भिक्षातनार रूप का बहुत महत्व है। सनाकर, सानंदनर और सनतकुमार, साथ ही कदंब मुनि ने यहां त्रिदेवों की पूजा की। चोलों और पांड्यों के काल के शिलालेख भी यहाँ पाए जाते हैं।

त्यौहार: पेरुमाल का वार्षिक भ्रामोत्सवम चिट्टिराई के महीने में किया जाता है, जबकि शिव के लिए वेकसी आयोजित की जाती है। तिरुवरंगम मंदिर के मासी उत्सव का रंगनाथ मंदिर से कदम्बा तक मंदिर का मंदिर है

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