तिरु अलवई मंदिर
तिरु अलवई मंदिर भारत के सबसे महान शिव मंदिरों में से एक है। यह विशाल है और इसमें कई मूर्तियां, हॉल, स्तंभ और बुलंद टावर हैं। यह शिव के 64 तिरुविलायडगल (तिरुविलायडल पूरनम और हलसीमहातमियम) का स्थल है और नटराज की 5 पंचसभाओं में से एक है – राजता (वेली): सबई – जहां शिव एक पैर उठाकर नाचते हैं। इतिहास: मूल मंदिर को आक्रमणकारियों ने जमीन पर गिरा दिया था और वर्तमान संरचना नायक शासकों द्वारा बनाई गई थी।
किंवदंतियां: शिव को कदंबवन वन में इंद्र द्वारा पूजा गया है और इसलिए सुंदरेश्वर के विनाम को इंद्र विमनम के रूप में जाना जाता है। किंवदंती है कि मीनाक्षी (पार्वती) मलयध्वज की पुत्री पांडियन ने यहां शिव से विवाह किया था। कहा जाता है कि शिव (साउंडारा पांडियन) और मीनाक्षी ने मदुरै पर शासन किया है। इस मंदिर के आसपास कई ऐसी किंवदंतियां हैं।
त्यौहार: चिट्टिराई तिरुविझा (15 अप्रैल -15 मई) के लिए शहर एक उत्सव की तरह लगता है; रंगीन जुलूस; दैवीय विवाह और राज्याभिषेक की घोषणा की जाती है। फ्लोट फेस्टिवल का बहुत महत्व है